सोमवार, 31 दिसंबर 2018

रक्षा ताबीज

.राम  कुंडली  ब्रह्मा चाक | 
त्रेतिस कोटि देवा देवी ( नाम ) कि बेडिया थाक | 
अमुकेर  ( नाम ) अकेर बाण काटम , शर काटम , संधान काटम , कुज्ञान काटम , काट बाणे , काटे राजा राम चन्द्रेर  बाने काटे || 
कार आज्ञा , राजा रामचन्द्रेर आज्ञे | 
गुरु झंडी अमुकेर ( नाम ) अंगे शीघ्रे  लागून ||


  • 1008 बार जाप कर सिद्ध करें इस दौरान नाम के जगह अपना नाम बोले |

  • 108 बार अभिमंत्रित कर  रक्षा ताबीज बना सकते हैं | इस दौरान नाम के जगह पीड़ित का नाम बोलेंगे जिसके लिए रक्षा ताबीज बना रहे हैं |

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शाबर मन्त्र कुछ तथ्य :- 
·         इन मन्त्रों का संयोजन विभिन्न संतों और योगियों ने अलग अलग भाषाओँ में किया हैये लगभग सभी भाषाओँ में पाए जाते हैं.
·        इनका संयोजन अजीब होता है , कई बार ये निरर्थक शब्द जैसे लगते हैं पर उन्हें यथावत पढ़ना और प्रयोग करना चाहिए.
·        शाबर मंत्र की साधना में गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु के साथ की गई साधनायें जल्द सफल होती हैं.
·        इन साधनों में आचार विचार की शुद्धता और पवित्रता से जल्द लाभ होता है.
·        शाबर मंत्र के जनक आदिदेव महादेव हैं , इसलिए हर साधना से पहले महादेव और पार्वती का पूजन अनिवार्य है. 
·        शाबर मन्त्रों में दुहाई दी जाती हैइसमें अपने गुरु ,महादेव पार्वती और इष्ट की दुहाई विशेष रूप से दी जाती है.
शाबर मन्त्र साधनाएं कैसे करें 
Y      सर्वश्रेष्ट तो यह है की आप गुरु खोजें और उनसे मंत्र प्राप्त करें.
Y      गुरु मंत्र का 11000 जाप करें . फिर दूसरी साधना करें.
Y      यदि गुरु न मिले तो निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का 11000 जाप करें फिर साधना प्रारंभ करें.:-
१] शिव पंचाक्षरी मंत्रम :-                   :: ॐ नमः शिवाय ::
२] महाकाली बीज मंत्रम :-                          || ॐ क्रीं क्रीं क्रीं  ||
३] शिव शक्ति मंत्रम :-                                   || ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||
४] शिव गुरु मंत्रम :-                                     || ॐ महादेवाय जगद्गुरुवे नमः ||
जप कैसे करें:-
  • सामन्यतः रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं. गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं.इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
  • गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए.
  • जप संख्या रोज एक सामान रखें तो बेहतर होगा . इष्ट गुरु तथा मन्त्र पर अगाध श्रद्धा रखें .
  • सभी मन्त्रों को ग्रहण जैसे विशेष अवसरों पर जाप करके जागृत करते रहना चाहिए
मंत्र साधना करते समय सावधानियां
Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
Y      बकवास और प्रलाप न करें.
Y      किसी पर गुस्सा न करें.
Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न होअपमान न करें.
Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहेंइसे यथा संभव गोपनीय रखें.
Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
Y      भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.

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