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बुधवार, 13 जनवरी 2021

शाबर लक्ष्मी मन्त्र

शाबर लक्ष्मी मन्त्र



विष्णु-प्रिया लक्ष्मी, शिव-प्रिया सती से प्रकट हुई। 

कामाक्षा भगवती आदि-शक्ति, युगल मूर्ति अपार, दोनों की प्रीति अमर, जाने संसार। 

दुहाई कामाक्षा की। 

आय बढ़ा व्यय घटा। 

दया कर माई। 

ॐ नमः विष्णु-प्रियाय। 

ॐ नमः शिव-प्रियाय। 

ॐ नमः कामाक्षाय। 

ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।


विधि :-

देवी लक्ष्मी का पूजन करके धूप दीप प्रसाद चढ़ाएं  । 

मकरसंक्रांति के दिन 1008 बार जाप करें । लक्ष्मी कृपया मिलेगी । 


शुक्रवार, 29 मई 2020

एकाक्षी नारियल : लक्ष्मी कृपा

एकाक्षी नारियल 


हर गृहस्थ व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसके पास धन का अभाव न रहे ।  धन की प्राप्ति के लिए प्रयास आवश्यक है ।  उसके साथ साथ यदि आप देवी लक्ष्मी की साधना या कुबेर की साधना जैसे उपाय करें तब भी आपके प्रयासों को जल्दी सफलता मिलती है । 


इसके अलावा कुछ तांत्रिक वस्तुएं भी ऐसी हैं जो मुश्किल से मिलती है । लेकिन उनको घर में रखने मात्र से ही लक्ष्मी प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती है । 


इनमें से कई चीजें बेहद दुर्लभ है और कुछ चीजें कठिन है मगर मिल जाती है वैसी ही एक वस्तु है एकाक्षी नारियल । 


सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुह होता है अर्थात कुल मिलाकर तीन काले बिंदु होते हैं ।  



एकाक्षी नारियल में एक ही आंख होती है अर्थात उसमें कुल मिला कर दो काले बिंदु होते हैं ।  




यह नारियल मुश्किल से मिलता है मगर मिलता है ।  ऐसा नारियल अगर आपको प्राप्त हो जाए तो उसे लाल कपड़े पर रखकर से धूप दीप दिखाएँ और उसी लाल कपड़े में बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां पर आप पैसे रखते हैं । 

जैसे तिजोरी या लॉकर ।  इससे लक्ष्मी प्राप्ति में सहयोग मिलता है । 


लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन के आगमन को ही माना जाता है । आप ध्यान दें तो यदि धन का जाना भी कम हो जाए अर्थात आप का खर्च कम हो जाए तो वह भी एक प्रकार से लक्ष्मी का आगमन ही है । 


कई परिवारों में अनावश्यक रूप से बीमारियों या इसी प्रकार की किसी अवांछित घटना के चलते धन का लगातार खर्च बढ़ता रहता है । ऐसी परिस्थितियों में भी एकाक्षी नारियल रखने या लक्ष्मी साधना करने से अनुकूलता मिल सकती है और बेवजह के खर्चों में कमी आने से आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है ...... 


सिद्ध मुहूर्त :-

  1. अक्षय तृतीया

  2. शरद पूर्णिमा 

  3. मकर संक्रांति 


अक्षय तृतीया का पर्व पूरे वर्ष में एक बार आता है ।  ज्योतिषीय व्याख्या के अनुसार यह पूरे वर्ष का ऐसा दिन होता है जिसमें किसी क्षण का भी क्षय या कमी नहीं होती है अर्थात यह पूर्णता का प्रतीक है या दूसरे शब्दों में कहें तो एक ऐसी स्थिति का प्रतीक है जिसमें कमी की गुंजाइश नहीं रहती है । 


दीपावली के अलावा लक्ष्मी साधना के लिए यह तीनों दिन अत्यंत ही सिद्ध मुहूर्त है ।  इस मे से किसी भी एक दिन या सभी दिन इस नारियल के सामने लक्ष्मी साधना करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है .. 



गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

भुवनेश्वरी शाबर मंत्र


चतुर्थ ज्योति भुवनेश्वरी प्रगटी ।‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
।। भुवनेश्वरी ।।
ॐ आदि ज्योति अनादि ज्योत ज्योत मध्ये परम ज्योत परम ज्योति मध्ये शिव गायत्री भई उत्पन्न, ॐ प्रातः समय उत्पन्न भई देवी भुवनेश्वरी । बाला सुन्दरी कर धर वर पाशांकुश अन्नपूर्णी दूध पूत बल दे बालका ऋद्धि सिद्धि भण्डार भरे, बालकाना बल दे जोगी को अमर काया । चौदह भुवन का राजपाट संभाला कटे रोग योगी का, दुष्ट को मुष्ट, काल कन्टक मार । योगी बनखण्ड वासा, सदा संग रहे भुवनेश्वरी माता ।
ह्रीं

शनिवार, 4 जनवरी 2020

श्री त्रिपुर सुंदरी शाबर मंत्र




।। महाविद्या षोडशी-त्रिपुर सुन्दरी शाबर मंत्र ।।

ॐ निरञ्जन निराकार अवधू मूल द्वार में बन्ध लगाई । 
पवन पलटे गगन समाई
ज्योति मध्ये ज्योत ले स्थिर हो भई । 
ॐ मध्याः उत्पन्न भई । 
उग्र त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति आवो शिवधर बैठो
मन उनमन
बुध सिद्ध चित्त में भया नाद । 
तीनों एक त्रिपुर सुन्दरी भया प्रकाश । 
हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश । 
त्रिनेत्रा अभय मुद्रा योग भोग की मोक्षदायिनी । 
इडा पिंगला सुषम्ना देवी । 
नागन जोगन त्रिपुर सुन्दरी । 
उग्र बाला, रुद्र बाला ,
तीनों ब्रह्मपुरी में भया उजियाला । 
योगी के घर जोगन बाला, ब्रह्मा विष्णु शिव की माता ।



श्री त्रिपुर सुंदरी मंत्र 

श्रीं ह्रीं क्लीं । ऐं सौः ॐ । ह्रीं श्रीं ।
कएईलह्रीं । हसकहल ह्रीं । सकल ह्रीं । 
श्रीं ह्रीं । ॐ सोः ऐं । क्लीं ह्रीं श्रीं ।

विधि :-
  • रात्री काल मे जाप करें । 
  • आर्थिक तथा वैवाहिक सुख प्रदायक । 

बुधवार, 1 जनवरी 2020

नव वर्ष पर : विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र

सभी पाठकों को 
नववर्ष 2020 
की शुभकामनायें 








विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र



नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा: ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ॥
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः ।
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥

जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः ।
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः ॥

चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः ।
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ॥
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥

ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः ॥

दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया ॥
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ॥

ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥

शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।
तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम ।
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ॥

इस स्तोत्र का पाठ इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर  सर्व विध शांति हो.

शुक्रवार, 12 जुलाई 2019

बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

गुरु के बिना साधना कैसे प्रारंभ करें

. कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये कुछ सहज उपाय है  :-


  • आप जिस देवी या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
  • भगवान् शिव को गुरु मान लें | शिवरात्री से या किसी भी सोमवार से या गुरु पूर्णिमा से " हरि ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवान् शिव से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |

  • महामाया भगवती महाकाली को गुरु मान लें | कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रि, शिवरात्री, होली ,या किसी भी अमावस्या से या गुरु पूर्णिमा से " क्रीं कालिकायै नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवती महाकाली से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |



  • लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
    1. छिन्नमस्ता साधना ।
    2. शरभेश्वर साधना ।
    3. अघोर साधनाएं ।
    4. श्मशान साधना ।
    5. वाममार्गी साधनाएँ.
    6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/पिशाचिनी जैसी साधनाएँ.
      ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

    इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.

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    शाबर मन्त्र कुछ तथ्य :- 
    ·         इन मन्त्रों का संयोजन विभिन्न संतों और योगियों ने अलग अलग भाषाओँ में किया हैये लगभग सभी भाषाओँ में पाए जाते हैं.
    ·        इनका संयोजन अजीब होता है , कई बार ये निरर्थक शब्द जैसे लगते हैं पर उन्हें यथावत पढ़ना और प्रयोग करना चाहिए.
    ·        शाबर मंत्र की साधना में गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु के साथ की गई साधनायें जल्द सफल होती हैं.
    ·        इन साधनों में आचार विचार की शुद्धता और पवित्रता से जल्द लाभ होता है.
    ·        शाबर मंत्र के जनक आदिदेव महादेव हैं , इसलिए हर साधना से पहले महादेव और पार्वती का पूजन अनिवार्य है. 
    ·        शाबर मन्त्रों में दुहाई दी जाती हैइसमें अपने गुरु ,महादेव पार्वती और इष्ट की दुहाई विशेष रूप से दी जाती है.
    शाबर मन्त्र साधनाएं कैसे करें 
    Y      सर्वश्रेष्ट तो यह है की आप गुरु खोजें और उनसे मंत्र प्राप्त करें.
    Y      गुरु मंत्र का 11000 जाप करें . फिर दूसरी साधना करें.
    Y      यदि गुरु न मिले तो निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का 11000 जाप करें फिर साधना प्रारंभ करें.:-
    १] शिव पंचाक्षरी मंत्रम :-                   :: ॐ नमः शिवाय ::
    २] महाकाली बीज मंत्रम :-                          || ॐ क्रीं क्रीं क्रीं  ||
    ३] शिव शक्ति मंत्रम :-                                   || ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||
    ४] शिव गुरु मंत्रम :-                                     || ॐ महादेवाय जगद्गुरुवे नमः ||
    जप कैसे करें:-
    • सामन्यतः रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं. गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं.इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
    • गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए.
    • जप संख्या रोज एक सामान रखें तो बेहतर होगा . इष्ट गुरु तथा मन्त्र पर अगाध श्रद्धा रखें .
    • सभी मन्त्रों को ग्रहण जैसे विशेष अवसरों पर जाप करके जागृत करते रहना चाहिए
    मंत्र साधना करते समय सावधानियां
    Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
    Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
    Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
    Y      बकवास और प्रलाप न करें.
    Y      किसी पर गुस्सा न करें.
    Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
    Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न होअपमान न करें.
    Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहेंइसे यथा संभव गोपनीय रखें.
    Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
    Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
    Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
    Y      भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
    गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.

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    रविवार, 7 जनवरी 2018

    रुद्राक्ष रक्षा कवच

    .

    1. पञ्च मुखी रुद्राक्ष ले लें . यह 10 रु से कम मूल्य पर बाजार में मिल जाता है .

    1. इसे गाय के दूध में रात भर डूबा कर रखें .
    2. सुबह गंगा जल से धो लें.
    3. इसको अपने सामने लाल कपडे में रखकर निम्नलीखित मन्त्र का 11 बार जाप करें .
    4. अगर आपने तांत्रिक गुरु धारण किया है तो गुरु के स्थान पर अपने गुरु का नाम भी ले सकते हैं .
    || ॐ नमो सत्य नाम आदेश गुरु को |ॐ नमो नजर जहां पर पीर न जानी | बोले छ्लसों अमृतबानी , कहो नजर कहाँ ते आई | यहाँ कौ ठौर तोही कौन बताई | कौन जात तेरो कहाँ ठाम | किसकी बेटी कहा तेरो नाम | कहाँ से उडी कहाँ को जाया | अब ही बस कर ले तेरी माया | मेरी जात सुना चितलाय | जैसी होय सुनाऊं आय | तेलन, तमोलन, चुह्डी, चमारी, कायथनी, खतरानी, कुम्हारी, महतरानी, राजा की रानी | जाको दोष ताहि के सर पड़े | निखिल पीर नजर से रक्षा करे | मेरी भक्ति गुरु की शक्ति , फुरो मन्त्र इश्वरी वाचा || 
    • अब यदि बड़ा बच्चा है तो लाल या काले धागे में पहना दें बालक हर सोमवार को रुद्राक्ष सामने रखकर 11 बार जाप करें फिर पहन ले .
    • यदि छोटा शिशु है तो उसके तकिये के नीचे रखें .
    • हर सोमवार को रुद्राक्ष सामने रखकर 11 बार जाप करें तथा वापस तकिये के नीचे रख दें | 
    • रुद्राक्ष साक्षात् शिव का प्रतीक है और उनसे बड़ा कोई रक्षक नहीं इसलिए यह सभी प्रकार से रक्षा करता है .
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    शाबर मन्त्र कुछ तथ्य :- 
    ·         इन मन्त्रों का संयोजन विभिन्न संतों और योगियों ने अलग अलग भाषाओँ में किया हैये लगभग सभी भाषाओँ में पाए जाते हैं.
    ·        इनका संयोजन अजीब होता है , कई बार ये निरर्थक शब्द जैसे लगते हैं पर उन्हें यथावत पढ़ना और प्रयोग करना चाहिए.
    ·        शाबर मंत्र की साधना में गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु के साथ की गई साधनायें जल्द सफल होती हैं.
    ·        इन साधनों में आचार विचार की शुद्धता और पवित्रता से जल्द लाभ होता है.
    ·        शाबर मंत्र के जनक आदिदेव महादेव हैं , इसलिए हर साधना से पहले महादेव और पार्वती का पूजन अनिवार्य है. 
    ·        शाबर मन्त्रों में दुहाई दी जाती हैइसमें अपने गुरु ,महादेव पार्वती और इष्ट की दुहाई विशेष रूप से दी जाती है.
    शाबर मन्त्र साधनाएं कैसे करें 
    Y      सर्वश्रेष्ट तो यह है की आप गुरु खोजें और उनसे मंत्र प्राप्त करें.
    Y      गुरु मंत्र का 11000 जाप करें . फिर दूसरी साधना करें.
    Y      यदि गुरु न मिले तो निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का 11000 जाप करें फिर साधना प्रारंभ करें.:-
    १] शिव पंचाक्षरी मंत्रम :-                   :: ॐ नमः शिवाय ::
    २] महाकाली बीज मंत्रम :-                          || ॐ क्रीं क्रीं क्रीं  ||
    ३] शिव शक्ति मंत्रम :-                                   || ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||
    ४] शिव गुरु मंत्रम :-                                     || ॐ महादेवाय जगद्गुरुवे नमः ||
    जप कैसे करें:-
    • सामन्यतः रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं. गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं.इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
    • गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए.
    • जप संख्या रोज एक सामान रखें तो बेहतर होगा . इष्ट गुरु तथा मन्त्र पर अगाध श्रद्धा रखें .
    • सभी मन्त्रों को ग्रहण जैसे विशेष अवसरों पर जाप करके जागृत करते रहना चाहिए
    मंत्र साधना करते समय सावधानियां
    Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
    Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
    Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
    Y      बकवास और प्रलाप न करें.
    Y      किसी पर गुस्सा न करें.
    Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
    Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न होअपमान न करें.
    Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहेंइसे यथा संभव गोपनीय रखें.
    Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
    Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
    Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
    Y      भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
    गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.

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    बुधवार, 1 नवंबर 2017

    गौशाला रक्षा मन्त्र








    1 पार्थ 
    2 जिष्णु 
    3 श्वेतवाहन 
    4 सव्यसाची 
    5 फाल्गुन 
    6 कीर्ति 
    7 गांडीवधारी 
    8 धनञ्जय
    विजय 
    10 विभत्सु
    यह वास्तव में अर्जुन के १० नाम हैं जिनको लिखकर गौशाला में टांगने से या गौशाला में दीवाल पर लिख देने से पशुओं की रक्षा होती रहती है |



    बुधवार, 20 सितंबर 2017

    व्यापार बढाने का मन्त्र

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    शाबर मन्त्र कुछ तथ्य :- 
    ·         इन मन्त्रों का संयोजन विभिन्न संतों और योगियों ने अलग अलग भाषाओँ में किया हैये लगभग सभी भाषाओँ में पाए जाते हैं.
    ·        इनका संयोजन अजीब होता है , कई बार ये निरर्थक शब्द जैसे लगते हैं पर उन्हें यथावत पढ़ना और प्रयोग करना चाहिए.
    ·        शाबर मंत्र की साधना में गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु के साथ की गई साधनायें जल्द सफल होती हैं.
    ·        इन साधनों में आचार विचार की शुद्धता और पवित्रता से जल्द लाभ होता है.
    ·        शाबर मंत्र के जनक आदिदेव महादेव हैं , इसलिए हर साधना से पहले महादेव और पार्वती का पूजन अनिवार्य है. 
    ·        शाबर मन्त्रों में दुहाई दी जाती हैइसमें अपने गुरु ,महादेव पार्वती और इष्ट की दुहाई विशेष रूप से दी जाती है.
    शाबर मन्त्र साधनाएं कैसे करें 
    Y      सर्वश्रेष्ट तो यह है की आप गुरु खोजें और उनसे मंत्र प्राप्त करें.
    Y      गुरु मंत्र का 11000 जाप करें . फिर दूसरी साधना करें.
    Y      यदि गुरु न मिले तो निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का 11000 जाप करें फिर साधना प्रारंभ करें.:-
    १] शिव पंचाक्षरी मंत्रम :-                   :: ॐ नमः शिवाय ::
    २] महाकाली बीज मंत्रम :-                          || ॐ क्रीं क्रीं क्रीं  ||
    ३] शिव शक्ति मंत्रम :-                                   || ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||
    ४] शिव गुरु मंत्रम :-                                     || ॐ महादेवाय जगद्गुरुवे नमः ||
    जप कैसे करें:-
    • सामन्यतः रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं. गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं.इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
    • गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए.
    • जप संख्या रोज एक सामान रखें तो बेहतर होगा . इष्ट गुरु तथा मन्त्र पर अगाध श्रद्धा रखें .
    • सभी मन्त्रों को ग्रहण जैसे विशेष अवसरों पर जाप करके जागृत करते रहना चाहिए
    मंत्र साधना करते समय सावधानियां
    Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
    Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
    Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
    Y      बकवास और प्रलाप न करें.
    Y      किसी पर गुस्सा न करें.
    Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
    Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न होअपमान न करें.
    Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहेंइसे यथा संभव गोपनीय रखें.
    Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
    Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
    Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
    Y      भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
    गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.

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