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बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

गुरु के बिना साधना कैसे प्रारंभ करें

. कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये कुछ सहज उपाय है  :-


  • आप जिस देवी या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
  • भगवान् शिव को गुरु मान लें | शिवरात्री से या किसी भी सोमवार से या गुरु पूर्णिमा से " हरि ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवान् शिव से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |

  • महामाया भगवती महाकाली को गुरु मान लें | कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रि, शिवरात्री, होली ,या किसी भी अमावस्या से या गुरु पूर्णिमा से " क्रीं कालिकायै नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवती महाकाली से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |



  • लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
    1. छिन्नमस्ता साधना ।
    2. शरभेश्वर साधना ।
    3. अघोर साधनाएं ।
    4. श्मशान साधना ।
    5. वाममार्गी साधनाएँ.
    6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/पिशाचिनी जैसी साधनाएँ.
      ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

    इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.

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    शाबर मन्त्र कुछ तथ्य :- 
    ·         इन मन्त्रों का संयोजन विभिन्न संतों और योगियों ने अलग अलग भाषाओँ में किया हैये लगभग सभी भाषाओँ में पाए जाते हैं.
    ·        इनका संयोजन अजीब होता है , कई बार ये निरर्थक शब्द जैसे लगते हैं पर उन्हें यथावत पढ़ना और प्रयोग करना चाहिए.
    ·        शाबर मंत्र की साधना में गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु के साथ की गई साधनायें जल्द सफल होती हैं.
    ·        इन साधनों में आचार विचार की शुद्धता और पवित्रता से जल्द लाभ होता है.
    ·        शाबर मंत्र के जनक आदिदेव महादेव हैं , इसलिए हर साधना से पहले महादेव और पार्वती का पूजन अनिवार्य है. 
    ·        शाबर मन्त्रों में दुहाई दी जाती हैइसमें अपने गुरु ,महादेव पार्वती और इष्ट की दुहाई विशेष रूप से दी जाती है.
    शाबर मन्त्र साधनाएं कैसे करें 
    Y      सर्वश्रेष्ट तो यह है की आप गुरु खोजें और उनसे मंत्र प्राप्त करें.
    Y      गुरु मंत्र का 11000 जाप करें . फिर दूसरी साधना करें.
    Y      यदि गुरु न मिले तो निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का 11000 जाप करें फिर साधना प्रारंभ करें.:-
    १] शिव पंचाक्षरी मंत्रम :-                   :: ॐ नमः शिवाय ::
    २] महाकाली बीज मंत्रम :-                          || ॐ क्रीं क्रीं क्रीं  ||
    ३] शिव शक्ति मंत्रम :-                                   || ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||
    ४] शिव गुरु मंत्रम :-                                     || ॐ महादेवाय जगद्गुरुवे नमः ||
    जप कैसे करें:-
    • सामन्यतः रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं. गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं.इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
    • गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए.
    • जप संख्या रोज एक सामान रखें तो बेहतर होगा . इष्ट गुरु तथा मन्त्र पर अगाध श्रद्धा रखें .
    • सभी मन्त्रों को ग्रहण जैसे विशेष अवसरों पर जाप करके जागृत करते रहना चाहिए
    मंत्र साधना करते समय सावधानियां
    Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
    Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
    Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
    Y      बकवास और प्रलाप न करें.
    Y      किसी पर गुस्सा न करें.
    Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
    Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न होअपमान न करें.
    Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहेंइसे यथा संभव गोपनीय रखें.
    Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
    Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
    Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
    Y      भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
    गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.

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    सोमवार, 20 अक्तूबर 2014

    दीपावली : लक्ष्मी प्राप्ति साधना


    ॐ नमो आदेश गुरु को | नमो सिद्ध गणपति प्रसादात विघ्न हर्तुम गणपत  गणापत वसो मसाण |
    जो फल चाहूं सो फल आण , पञ्च लाडूँ , सिर सिन्दूर , रिद्धि सिद्धि आण | गौरी का पुत्र सिंहासन बैठा | रजा काम्पै प्रजा काम्पै दृष्टे राजा सिम चाम्पे| पञ्च कोष पूर्व पश्चिम से आण उत्तर से आण दक्षिण से आण | इतनी कर रिद्धि सिद्धि मेरे घर द्वार आण| राजा प्रजा अभी मेरो पड़े पाँव न पड़े तो लाजे मैया गौरी | जो मै देखूं गणेश बाला कर मंत्र का सत की फट फट स्वाहा |

    • 1600 बार जाप करने से सिद्ध हो जाएगा.
    • जाप के समय गुग्गुल का धुप जलता रहे तो अच्छा है.
    • भोजपत्र पर लिख कर उसके सामने जाप करें 
    • जाप के बाद ताबीज में भरकर पहन लें या धन रखने के स्थान में रख लें.
    • दूकान हो तो वहां गल्ले में भी रख सकते हैं.