बुधवार, 13 जनवरी 2021

शाबर लक्ष्मी मन्त्र

शाबर लक्ष्मी मन्त्र



विष्णु-प्रिया लक्ष्मी, शिव-प्रिया सती से प्रकट हुई। 

कामाक्षा भगवती आदि-शक्ति, युगल मूर्ति अपार, दोनों की प्रीति अमर, जाने संसार। 

दुहाई कामाक्षा की। 

आय बढ़ा व्यय घटा। 

दया कर माई। 

ॐ नमः विष्णु-प्रियाय। 

ॐ नमः शिव-प्रियाय। 

ॐ नमः कामाक्षाय। 

ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।


विधि :-

देवी लक्ष्मी का पूजन करके धूप दीप प्रसाद चढ़ाएं  । 

मकरसंक्रांति के दिन 1008 बार जाप करें । लक्ष्मी कृपया मिलेगी । 


एकाक्षी नारियल

  एकाक्षी नारियल 


हर गृहस्थ व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसके पास धन का अभाव न रहे ।  धन की प्राप्ति के लिए प्रयास आवश्यक है ।  उसके साथ साथ यदि आप देवी लक्ष्मी की साधना या कुबेर की साधना जैसे उपाय करें तब भी आपके प्रयासों को जल्दी सफलता मिलती है । 


इसके अलावा कुछ तांत्रिक वस्तुएं भी ऐसी हैं जो मुश्किल से मिलती है । लेकिन उनको घर में रखने मात्र से ही लक्ष्मी प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती है । 


इनमें से कई चीजें बेहद दुर्लभ है और कुछ चीजें कठिन है मगर मिल जाती है वैसी ही एक वस्तु है एकाक्षी नारियल । 


सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुह होता है अर्थात कुल मिलाकर तीन काले बिंदु होते हैं ।  



एकाक्षी नारियल में एक ही आंख होती है अर्थात उसमें कुल मिला कर दो काले बिंदु होते हैं ।  




यह नारियल मुश्किल से मिलता है मगर मिलता है ।  ऐसा नारियल अगर आपको प्राप्त हो जाए तो उसे लाल कपड़े पर रखकर से धूप दीप दिखाएँ और उसी लाल कपड़े में बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां पर आप पैसे रखते हैं । 

जैसे तिजोरी या लॉकर ।  इससे लक्ष्मी प्राप्ति में सहयोग मिलता है । 


लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन के आगमन को ही माना जाता है । आप ध्यान दें तो यदि धन का जाना भी कम हो जाए अर्थात आप का खर्च कम हो जाए तो वह भी एक प्रकार से लक्ष्मी का आगमन ही है । 


कई परिवारों में अनावश्यक रूप से बीमारियों या इसी प्रकार की किसी अवांछित घटना के चलते धन का लगातार खर्च बढ़ता रहता है । ऐसी परिस्थितियों में भी एकाक्षी नारियल रखने या लक्ष्मी साधना करने से अनुकूलता मिल सकती है और बेवजह के खर्चों में कमी आने से आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है ...... 


सिद्ध मुहूर्त :-

  1. अक्षय तृतीया

  2. शरद पूर्णिमा 

  3. मकर संक्रांति 


अक्षय तृतीया का पर्व पूरे वर्ष में एक बार आता है ।  ज्योतिषीय व्याख्या के अनुसार यह पूरे वर्ष का ऐसा दिन होता है जिसमें किसी क्षण का भी क्षय या कमी नहीं होती है अर्थात यह पूर्णता का प्रतीक है या दूसरे शब्दों में कहें तो एक ऐसी स्थिति का प्रतीक है जिसमें कमी की गुंजाइश नहीं रहती है । 


दीपावली के अलावा लक्ष्मी साधना के लिए यह तीनों दिन अत्यंत ही सिद्ध मुहूर्त है ।  

इस दिन लक्ष्मी साधना करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है .. 



अमावस्या विशेष – लक्ष्मी प्रयोग

 अमावस्या विशेष – लक्ष्मी प्रयोग





गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी द्वारा प्रदत्त 108 महालक्ष्मी यंत्र
आवश्यक सामग्री.
  1. भोजपत्र 
  2. अष्टगंध
  3. कुमकुम.
  4. चांदी की लेखनी , चांदी के छोटे से तार से भी लिख सकते हैं.
  5. उचित आकार का एक ताबीज जिसमे यह यंत्र रख कर आप पहन सकें.
  6. दीपावली की रात या किसी भी अमावस्या की रात को कर सकते हैं.

विधि विधान :-

  • धुप अगर बत्ती जला दें.
  • संभव हो तो घी का दीपक जलाएं.
  • स्नान कर के बिना किसी वस्त्र का स्पर्श किये पूजा स्थल पर बैठें.
  • मेरे परम श्रद्धेय सदगुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी को प्रणाम करें.

  • 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें यदि आपके गुरु नहीं हैं तो " ॐ गूँ  गुरुभ्यो नमः ". का जाप करें 
  • उनसे पूजन को सफल बनाने और आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने की प्रार्थना करें.
  • इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध से भोजपत्र पर करें.
  • इस प्रकार 108 बार श्रीं [लक्ष्मी बीज मंत्र] लिखें.
  • हर मन्त्र लेखन के साथ मन्त्र का जाप भी मन में करतेरहें.
  • यंत्र लिख लेने के बाद 108 माला " ॐ श्रीं ॐ " मंत्र का जाप यंत्र के सामने करें.
  • एक माला पूर्ण हो जाने पर एक श्रीं के ऊपर कुमकुम की एक बिंदी लगा दें.
  • इस प्रकार १०८ माला जाप जाप पूरा होते तक हर "श्रीं"  पर बिंदी लग जाएगी. 
  • पुनः 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ".
  • जाप पूरा हो जाने के बाद इस यंत्र को ताबीज में डाल कर गले में धारण कर लें.
  • कोशिश यह करें की इसे न उतारें.
  • उतारते ही इसका प्रभाव ख़तम हो जायेगा. ऐसी स्थिति में इसे जल में विसर्जित कर देना चाहिए . अपने पास नहीं रखना चाहिए. अगली अमावस्या को आप इसे पुनः कर सकते हैं.
आर्थिक अनुकूलता प्रदान करता है.धनागमन का रास्ता खुलता है.महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक है.

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

दीपावली : लक्ष्मी प्राप्ति गणेश साधना

 ॐ नमो आदेश गुरु को | नमो सिद्ध गणपति प्रसादात विघ्न हर्तुम गणपत  गणापत वसो मसाण |

जो फल चाहूं सो फल आण , पञ्च लाडूँ , सिर सिन्दूर , रिद्धि सिद्धि आण | गौरी का पुत्र सिंहासन बैठा | रजा काम्पै प्रजा काम्पै दृष्टे राजा सिम चाम्पे| पञ्च कोष पूर्व पश्चिम से आण उत्तर से आण दक्षिण से आण | इतनी कर रिद्धि सिद्धि मेरे घर द्वार आण| राजा प्रजा अभी मेरो पड़े पाँव न पड़े तो लाजे मैया गौरी | जो मै देखूं गणेश बाला कर मंत्र का सत की फट फट स्वाहा |

  • 1600 बार जाप करने से सिद्ध हो जाएगा.
  • जाप के समय गुग्गुल का धुप जलता रहे तो अच्छा है.
  • भोजपत्र पर लिख कर उसके सामने जाप करें 
  • जाप के बाद ताबीज में भरकर पहन लें या धन रखने के स्थान में रख लें.
  • दूकान हो तो वहां गल्ले में भी रख सकते हैं.

मंगलवार, 10 नवंबर 2020

शाबर महालक्ष्मी मन्त्रम

 



|| ॐ नमो भगवती पद्मा श्रीं ॐ ह्रीं पूर्व दक्षिण उत्तर पश्चिम धन द्रव्य आवै सर्वजन वश्यं कुरु कुरु नमः ||

दीपावली के दिन ५ माला जाप करे. 
व्यापार में लाभ होगा .

मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

निखिल तन्त्र दर्शन: साबर लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग

निखिल तन्त्र दर्शन: साबर लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग: साबर लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग           पंच दिवसीय दीपावली महापर्व निकट ही है। इसका आरम्भ ५ नवम्बर २०१८ से हो रहा है और इसका समापन ...

महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र

 





॥ पञ्चम ज्योति छिन्नमस्ता प्रगटी ॥
॥ छिन्नमस्ता ॥


सत का धर्म सत की कायाब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठानाभ कमल पर छिन्नमस्ताचन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवीत्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरीतन का मुन्डा हाथ में लिन्हादाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्तबरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजालीश्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छायाप्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डीचण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जतीसती को रखयोगी घर जोगन बैठीश्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जापपाप कन्टन्ते आपो आपजो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।

श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्र-वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा ।



1.      महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  छिन्नमस्ता  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।

सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

नवरात्रि हवन की सरल विधिः


 

आवश्यक सामग्री :-

1.       दशांग या हवन सामग्री , दुकान पर आपको मिल जाएगा .

2.       घी ( अच्छा वाला लें , भले कम लें , पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )

3.       कपूर आग जलाने के लिए .

4.       एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,

 

 

हवनकुंड वेदी को साफ करें.

हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .

फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे ईंट , रेती रखें उसपर पात्र रखें.   

 

लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें.

 

हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.

 

सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें

“ ॐ अग्नये स्वाहा “

 

इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-

ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न मम् ।

ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम् ।

ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।

ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।

ॐ भूः स्वाहा ।

 

उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .

नवग्रह मंत्र :-

ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा

ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा

ऊं भौमाय नमः स्वाहा

ऊँ बुधाय नमः स्वाहा

ऊँ गुरवे नमः स्वाहा

ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा

ऊँ शनये नमः स्वाहा

ऊँ राहवे नमः स्वाहा

ऊँ केतवे नमः स्वाहा

गायत्री मंत्र :-

 

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।

 

 

ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,

ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,

ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,

 

ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,

 

ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा,

ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,

ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा

 

माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे

 

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा

 

हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घी, हवन सामग्री आदि डाल दें.

पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.

 

पूर्णाहुति मंत्र-

 

ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णम उदिच्यते ।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते ।।

 

इसका अर्थ है :-

वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है , उसके द्वारा उत्पन्न यह जगत भी पूर्ण हूँ , उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी वह पूर्ण ही रहता है ।

वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे कार्य , अभीष्ट मे पूर्णता मिले ....  

 

इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी चाहिए.

उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें,

फिर आरती करें.

 

अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.

 

माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब महिला या कन्या को दान मे दें ।


गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

पति से संबंधों मे सुधार

 यदि आपका पति आपसे विरक्त हो गया हो तो इस साधना से अनुकूलता मिलेगी |


"हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार। 
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार। 
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर। 
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे। 
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ? 
कैलास-पर्वत से आया। 
कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया। 
काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार। 
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल। 
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए। 
सत्य नाम, आदेश गुरु की।

  1. कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
  2. इस मन्त्र को रोज 1008 बार जाप पूरी नवरात्री करें .
  3. इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ.
  4. ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.
  5. यह केवल आपके स्वयं के विवाहित पति के लिए काम करेगा . प्रेमी के लिए काम नहीं करेगा .
  6. इसका तात्पर्य यह न समझें कि पति आपका गुलाम हो जाएगा । सामान्य मर्यादा और अनुकूल भाषा का प्रयोग बेहतर परिणाम देगा ।