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मंगलवार, 2 जून 2020

महाकाली शाबर मंत्र

प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।




ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार
तत सार मध्ये ज्योत
ज्योत मध्ये परम ज्योत
परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता 
शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली
कृष्ण वर्णीशव वाहनीरुद्र की पोषणी
हाथ खप्पर खडग धारी
गले मुण्डमाला हंस मुखी । 
जिह्वा ज्वाला दन्त काली । 
मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । 
मांस खाये रक्त-पी-पीवे । 
भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । 
सत की नाती , धर्म की बेटी । 
इन्द्र की साली , काल की काली । 
जोग की जोगीननागों की नागीन । 
मन माने तो संग रमाई, नहीं तो श्मशान फिरे । 
अकेली चार वीर अष्ट भैरोंघोर काली अघोर काली । 
अजर महाकाली । 
बजर अमर काली । 
भख जून निर्भय काली । 

बला भखदुष्ट को भख
काल भख, पापी पाखण्डी को भख । 

जती सती को रख । 

ॐ काली तुम बाला ना वृद्धादेव ना दानवनर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।



मूल मंत्र -

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।



1.      महाविद्या महाकाली का शाबर मंत्र है ।
2.   
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।

6.  महाकाली साधना से सभी प्रकार से सुरक्षा और कृपा प्राप्त होती है । 

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

महाविद्या महाकाली का शाबर मंत्र




प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।
॥महाकाली ॥

ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार, तत सार मध्ये ज्योत, ज्योत मध्ये परम ज्योत, परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली, कृष्ण वर्णी, शव वहानी, रुद्र की पोषणी, हाथ खप्पर खडग धारी, गले मुण्डमाला हंस मुखी । जिह्वा ज्वाला दन्त काली । मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । मांस खाये रक्त-पी-पीवे । भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । सत की नाती धर्म की बेटी इन्द्र की साली काल की काली जोग की जोगीन, नागों की नागीन मन माने तो संग रमाई नहीं तो श्मशान फिरे अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली अजर ।। महाकाली ।।

बजर अमर काली भख जून निर्भय काली बला भख, दुष्ट को भख, काल भख पापी पाखण्डी को भख जती सती को रख, ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा


1.      महाविद्या महाकाली का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  महाकाली साधना से सभी प्रकार से सुरक्षा और कृपा प्राप्त होती है ।


गुरुवार, 19 मार्च 2020

बगलामुखी शाबर साधना











अष्टम ज्योति बगलामुखी प्रगटी ।
।। बगलामुखी ।।

ॐ सौ सौ दुता समुन्दर टापू, टापू में थापा सिंहासन पीला । सिंहासन पीले ऊपर कौन बसे । सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बसे, बगलामुखी के कौन संगी कौन साथी । कच्ची बच्ची काक-कूतिया-स्वान-चिड़िया, ॐ बगला बाला हाथ मुद्-गर मार, शत्रु हृदय पर सवार तिसकी जिह्वा खिच्चै बाला । बगलामुखी मरणी करणी उच्चाटण धरणी, अनन्त कोट सिद्धों ने मानी ॐ बगलामुखी रमे ब्रह्माण्डी मण्डे चन्दसुर फिरे खण्डे खण्डे । बाला बगलामुखी नमो नमस्कार ।

ॐ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भन-बाणाय धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्




1.      महाविद्या बगलामुखी  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सात्विक आहार विचार और आचार  रखें ।
4.   ब्रह्मचर्य का पालन करे  
5.    किसी प्रकार का नशा न करें ।
6.  सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
7.    यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
8.   कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
9.  बगलामुखी साधना से सभी प्रकार की शत्रु बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


बुधवार, 18 मार्च 2020

धूमावती शाबर साधना







सप्तम ज्योति धूमावती प्रगटी
।। धूमावती ।।



ॐ पाताल निरंजन निराकार, आकाश मण्डल धुन्धुकार, आकाश दिशा से कौन आये, कौन रथ कौन असवार, आकाश दिशा से धूमावन्ती आई, काक ध्वजा का रथ अस्वार आई थरै आकाश, विधवा रुप लम्बे हाथ, लम्बी नाक कुटिल नेत्र दुष्टा स्वभाव, डमरु बाजे भद्रकाली, क्लेश कलह कालरात्रि । डंका डंकनी काल किट किटा हास्य करी । जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्ते जाजा जीया आकाश तेरा होये । धूमावन्तीपुरी में वास, न होती देवी न देव तहा न होती पूजा न पाती तहा न होती जात न जाती तब आये श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथ आप भयी अतीत ।

ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा ।




1.      महाविद्या धूमावती  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  धूमावती  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


मंगलवार, 17 मार्च 2020

त्रिपुरभैरवी साधना







षष्टम ज्योति भैरवी प्रगटी ।
।। त्रिपुर भैरवी ।।


ॐ सती भैरवी भैरो काल यम जाने यम भूपाल तीन नेत्र तारा त्रिकुटा, गले में माला मुण्डन की । अभय मुद्रा पीये रुधिर नाशवन्ती ! काला खप्पर हाथ खंजर, कालापीर धर्म धूप खेवन्ते वासना गई सातवें पाताल, सातवें पाताल मध्ये परम-तत्त्व परम-तत्त्व में जोत, जोत में परम जोत, परम जोत में भई उत्पन्न काल-भैरवी, त्रिपुर-भैरवी, सम्पत्त-प्रदा-भैरवी, कौलेश-भैरवी, सिद्धा-भैरवी, विध्वंसिनि-भैरवी, चैतन्य-भैरवी, कामेश्वरी-भैरवी, षटकुटा-भैरवी, नित्या-भैरवी । जपा अजपा गोरक्ष जपन्ती यही मन्त्र मत्स्येन्द्रनाथजी को सदा शिव ने कहायी । ऋद्ध फूरो सिद्ध फूरो सत श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथजी अनन्त कोट सिद्धा ले उतरेगी काल के पार, भैरवी भैरवी खड़ी जिन शीश पर, दूर हटे काल जंजाल भैरवी मन्त्र बैकुण्ठ वासा । अमर लोक में हुवा निवासा ।

ॐ ह्सैं ह्स्क्ल्रीं ह्स्त्रौः




1.      महाविद्या त्रिपुरभैरवी  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  त्रिपुरभैरवी  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


सोमवार, 16 मार्च 2020

महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र






॥ पञ्चम ज्योति छिन्नमस्ता प्रगटी ॥
॥ छिन्नमस्ता ॥


सत का धर्म सत की काया, ब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठा, नाभ कमल पर छिन्नमस्ता, चन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवी, त्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरी, तन का मुन्डा हाथ में लिन्हा, दाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्त, बरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजाली, श्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छाया, प्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डी, चण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जती, सती को रख, योगी घर जोगन बैठी, श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जाप, पाप कन्टन्ते आपो आप, जो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।

श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्र-वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा ।



1.      महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  छिन्नमस्ता  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


रविवार, 15 मार्च 2020

महाविद्या भुवनेश्वरी का शाबर मंत्र


चतुर्थ ज्योति भुवनेश्वरी प्रगटी ।
।। भुवनेश्वरी।।


ॐ आदि ज्योति अनादि ज्योत ज्योत मध्ये परम ज्योत परम ज्योति मध्ये शिव गायत्री भई उत्पन्न, ॐ प्रातः समय उत्पन्न भई देवी भुवनेश्वरी । बाला सुन्दरी कर धर वर पाशांकुश अन्नपूर्णी दूध पूत बल दे बालका ऋद्धि सिद्धि भण्डार भरे, बालकाना बल दे जोगी को अमर काया । चौदह भुवन का राजपाट संभाला कटे रोग योगी का, दुष्ट को मुष्ट, काल कन्टक मार । योगी बनखण्ड वासा, सदा संग रहे भुवनेश्वरी माता ।
॥ ह्रीं ॥
1.      महाविद्या भुवनेश्वरी का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  भुवनेश्वरी साधना से सभी प्रकार का ऐश्वर्य प्राप्त होता है ।


गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

भुवनेश्वरी शाबर मंत्र


चतुर्थ ज्योति भुवनेश्वरी प्रगटी ।‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
।। भुवनेश्वरी ।।
ॐ आदि ज्योति अनादि ज्योत ज्योत मध्ये परम ज्योत परम ज्योति मध्ये शिव गायत्री भई उत्पन्न, ॐ प्रातः समय उत्पन्न भई देवी भुवनेश्वरी । बाला सुन्दरी कर धर वर पाशांकुश अन्नपूर्णी दूध पूत बल दे बालका ऋद्धि सिद्धि भण्डार भरे, बालकाना बल दे जोगी को अमर काया । चौदह भुवन का राजपाट संभाला कटे रोग योगी का, दुष्ट को मुष्ट, काल कन्टक मार । योगी बनखण्ड वासा, सदा संग रहे भुवनेश्वरी माता ।
ह्रीं

शनिवार, 4 जनवरी 2020

श्री त्रिपुर सुंदरी शाबर मंत्र




।। महाविद्या षोडशी-त्रिपुर सुन्दरी शाबर मंत्र ।।

ॐ निरञ्जन निराकार अवधू मूल द्वार में बन्ध लगाई । 
पवन पलटे गगन समाई
ज्योति मध्ये ज्योत ले स्थिर हो भई । 
ॐ मध्याः उत्पन्न भई । 
उग्र त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति आवो शिवधर बैठो
मन उनमन
बुध सिद्ध चित्त में भया नाद । 
तीनों एक त्रिपुर सुन्दरी भया प्रकाश । 
हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश । 
त्रिनेत्रा अभय मुद्रा योग भोग की मोक्षदायिनी । 
इडा पिंगला सुषम्ना देवी । 
नागन जोगन त्रिपुर सुन्दरी । 
उग्र बाला, रुद्र बाला ,
तीनों ब्रह्मपुरी में भया उजियाला । 
योगी के घर जोगन बाला, ब्रह्मा विष्णु शिव की माता ।



श्री त्रिपुर सुंदरी मंत्र 

श्रीं ह्रीं क्लीं । ऐं सौः ॐ । ह्रीं श्रीं ।
कएईलह्रीं । हसकहल ह्रीं । सकल ह्रीं । 
श्रीं ह्रीं । ॐ सोः ऐं । क्लीं ह्रीं श्रीं ।

विधि :-
  • रात्री काल मे जाप करें । 
  • आर्थिक तथा वैवाहिक सुख प्रदायक ।