सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

दस महाविद्या शाबर मंत्र

 


दस महाविद्या शाबर मंत्र



प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।
ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सारतत सार मध्ये ज्योतज्योत मध्ये परम ज्योतपरम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकालीकृष्ण वर्णीशव वहानीरुद्र की पोषणीहाथ खप्पर खडग धारीगले मुण्डमाला हंस मुखी । जिह्वा ज्वाला दन्त काली । मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । मांस खाये रक्त-पी-पीवे । भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । सत की नाती धर्म की बेटी इन्द्र की साली काल की काली जोग की जोगीननागों की नागीन मन माने तो संग रमाई नहीं तो श्मशान फिरे अकेली चार वीर अष्ट भैरोंघोर काली अघोर काली अजर ।। महाकाली ।।
बजर अमर काली भख जून निर्भय काली बला भखदुष्ट को भखकाल भख पापी पाखण्डी को भख जती सती को रखॐ काली तुम बाला ना वृद्धादेव ना दानवनर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।




द्वितीय ज्योति तारा त्रिकुटा तोतला प्रगटी ।
।। तारा ।।
ॐ आदि योग अनादि माया जहाँ पर ब्रह्माण्ड उत्पन्न भया । ब्रह्माण्ड समाया आकाश मण्डल तारा त्रिकुटा तोतला माता तीनों बसै ब्रह्म कापलिजहाँ पर ब्रह्मा विष्णु महेश उत्पत्तिसूरज मुख तपे चंद मुख अमिरस पीवेअग्नि मुख जलेआद कुंवारी हाथ खण्डाग गल मुण्ड मालमुर्दा मार ऊपर खड़ी देवी तारा । नीली काया पीली जटाकाली दन्त में जिह्वा दबाया । घोर तारा अघोर तारादूध पूत का भण्डार भरा । पंच मुख करे हां हां ऽऽकाराडाकिनी शाकिनी भूत पलिता सौ सौ कोस दूर भगाया । चण्डी तारा फिरे ब्रह्माण्डी तुम तो हों तीन लोक की जननी ।
ॐ ह्रीं स्त्रीं फट्ॐ ऐं ह्रीं स्त्रीं हूँ फट्




तृतीय ज्योति त्रिपुर सुन्दरी प्रगटी ।
।। षोडशी-त्रिपुर सुन्दरी ।।
ॐ निरञ्जन निराकार अवधू मूल द्वार में बन्ध लगाई पवन पलटे गगन समाईज्योति मध्ये ज्योत ले स्थिर हो भई ॐ मध्याः उत्पन्न भई उग्र त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति आवो शिवधर बैठोमन उनमनबुध सिद्ध चित्त में भया नाद । तीनों एक त्रिपुर सुन्दरी भया प्रकाश । हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश । त्रिनेत्रा अभय मुद्रा योग भोग की मोक्षदायिनी । इडा पिंगला सुषम्ना देवी नागन जोगन त्रिपुर सुन्दरी । उग्र बालारुद्र बाला तीनों ब्रह्मपुरी में भया उजियाला । योगी के घर जोगन बालाब्रह्मा विष्णु शिव की माता ।
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः ॐ ह्रीं श्रीं कएईलह्रीं
हसकहल ह्रीं सकल ह्रीं सोः
ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ।




चतुर्थ ज्योति भुवनेश्वरी प्रगटी ।‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
।। भुवनेश्वरी ।।
ॐ आदि ज्योति अनादि ज्योत ज्योत मध्ये परम ज्योत परम ज्योति मध्ये शिव गायत्री भई उत्पन्नॐ प्रातः समय उत्पन्न भई देवी भुवनेश्वरी । बाला सुन्दरी कर धर वर पाशांकुश अन्नपूर्णी दूध पूत बल दे बालका ऋद्धि सिद्धि भण्डार भरेबालकाना बल दे जोगी को अमर काया । चौदह भुवन का राजपाट संभाला कटे रोग योगी कादुष्ट को मुष्टकाल कन्टक मार । योगी बनखण्ड वासासदा संग रहे भुवनेश्वरी माता ।
ह्रीं















पञ्चम ज्योति छिन्नमस्ता प्रगटी ।

।। छिन्नमस्ता ।।
सत का धर्म सत की कायाब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठानाभ कमल पर छिन्नमस्ताचन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवीत्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरीतन का मुन्डा हाथ में लिन्हादाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्तबरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजालीश्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छायाप्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डीचण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जतीसती को रखयोगी घर जोगन बैठीश्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जापपाप कन्टन्ते आपो आपजो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।
श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्र-वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा ।


षष्टम ज्योति भैरवी प्रगटी ।
।। भैरवी ।।
ॐ सती भैरवी भैरो काल यम जाने यम भूपाल तीन नेत्र तारा त्रिकुटागले में माला मुण्डन की । अभय मुद्रा पीये रुधिर नाशवन्ती ! काला खप्पर हाथ खंजरकालापीर धर्म धूप खेवन्ते वासना गई सातवें पातालसातवें पाताल मध्ये परम-तत्त्व परम-तत्त्व में जोतजोत में परम जोतपरम जोत में भई उत्पन्न काल-भैरवीत्रिपुर-भैरवीसम्पत्त-प्रदा-भैरवीकौलेश-भैरवीसिद्धा-भैरवीविध्वंसिनि-भैरवीचैतन्य-भैरवीकामेश्वरी-भैरवीषटकुटा-भैरवीनित्या-भैरवी । जपा अजपा गोरक्ष जपन्ती यही मन्त्र मत्स्येन्द्रनाथजी को सदा शिव ने कहायी । ऋद्ध फूरो सिद्ध फूरो सत श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथजी अनन्त कोट सिद्धा ले उतरेगी काल के पारभैरवी भैरवी खड़ी जिन शीश परदूर हटे काल जंजाल भैरवी मन्त्र बैकुण्ठ वासा । अमर लोक में हुवा निवासा ।
ॐ ह्सैं ह्स्क्ल्रीं ह्स्त्रौः


सप्तम ज्योति धूमावती प्रगटी
।। धूमावती ।।
ॐ पाताल निरंजन निराकारआकाश मण्डल धुन्धुकारआकाश दिशा से कौन आयेकौन रथ कौन असवारआकाश दिशा से धूमावन्ती आईकाक ध्वजा का रथ अस्वार आई थरै आकाशविधवा रुप लम्बे हाथलम्बी नाक कुटिल नेत्र दुष्टा स्वभावडमरु बाजे भद्रकालीक्लेश कलह कालरात्रि । डंका डंकनी काल किट किटा हास्य करी । जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्ते जाजा जीया आकाश तेरा होये । धूमावन्तीपुरी में वासन होती देवी न देव तहा न होती पूजा न पाती तहा न होती जात न जाती तब आये श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथ आप भयी अतीत ।
ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा ।


अष्टम ज्योति बगलामुखी प्रगटी ।
।। बगलामुखी ।।
ॐ सौ सौ दुता समुन्दर टापूटापू में थापा सिंहासन पिला । संहासन पीले ऊपर कौन बसे । सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बसेबगलामुखी के कौन संगी कौन साथी । कच्ची बच्ची काक-कूतिया-स्वान-चिड़ियाॐ बगला बाला हाथ मुद्-गर मारशत्रु हृदय पर सवार तिसकी जिह्वा खिच्चै बाला । बगलामुखी मरणी करणी उच्चाटण धरणीअनन्त कोट सिद्धों ने मानी ॐ बगलामुखी रमे ब्रह्माण्डी मण्डे चन्दसुर फिरे खण्डे खण्डे । बाला बगलामुखी नमो नमस्कार ।
ॐ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भन-बाणाय धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात् ।


नवम ज्योति मातंगी प्रगटी ।
।। मातंगी ।।
ॐ शून्य शून्य महाशून्यमहाशून्य में ॐ-कारॐ-कार में शक्तिशक्ति अपन्ते उहज आपो आपनासुभय में धाम कमल में विश्रामआसन बैठीसिंहासन बैठी पूजा पूजो मातंगी बालाशीश पर अस्वारी उग्र उन्मत्त मुद्राधारीउद गुग्गल पाण सुपारीखीरे खाण्डे मद्य-मांसे घृत-कुण्डे सर्वांगधारी । बुन्द मात्रेन कडवा प्यालामातंगी माता तृप्यन्ते । ॐ मातंगी-सुन्दरीरुपवन्तीकामदेवीधनवन्तीधनदातीअन्नपूर्णी अन्नदातीमातंगी जाप मन्त्र जपे काल का तुम काल को खाये । तिसकी रक्षा शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी करे ।
ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा ।


दसवीं ज्योति कमला प्रगटी ।
।। कमला ।।
ॐ अ-योनी शंकर ॐ-कार रुपकमला देवी सती पार्वती का स्वरुप । हाथ में सोने का कलशमुख से अभय मुद्रा । श्वेत वर्ण सेवा पूजा करेनारद इन्द्रा । देवी देवत्या ने किया जय ॐ-कार । कमला देवी पूजो केशर पान सुपारीचकमक चीनी फतरी तिल गुग्गल सहस्र कमलों का किया हवन । कहे गोरखमन्त्र जपो जाप जपो ऋद्धि सिद्धि की पहचान गंगा गौरजा पार्वती जान । जिसकी तीन लोक में भया मान । कमला देवी के चरण कमल को आदेश ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध-लक्ष्म्यै नमः ।


नवरात्रि मे 108 बार नित्य जाप करें । इससे ज्यादा कर सकते हो तो और बढ़िया । 
अष्टमी या नवमी को किसी गरीब बेसहारा महिला को धन वस्त्र या भोजन दान करें । 

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