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बुधवार, 13 जनवरी 2021

एकाक्षी नारियल

  एकाक्षी नारियल 


हर गृहस्थ व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसके पास धन का अभाव न रहे ।  धन की प्राप्ति के लिए प्रयास आवश्यक है ।  उसके साथ साथ यदि आप देवी लक्ष्मी की साधना या कुबेर की साधना जैसे उपाय करें तब भी आपके प्रयासों को जल्दी सफलता मिलती है । 


इसके अलावा कुछ तांत्रिक वस्तुएं भी ऐसी हैं जो मुश्किल से मिलती है । लेकिन उनको घर में रखने मात्र से ही लक्ष्मी प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती है । 


इनमें से कई चीजें बेहद दुर्लभ है और कुछ चीजें कठिन है मगर मिल जाती है वैसी ही एक वस्तु है एकाक्षी नारियल । 


सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुह होता है अर्थात कुल मिलाकर तीन काले बिंदु होते हैं ।  



एकाक्षी नारियल में एक ही आंख होती है अर्थात उसमें कुल मिला कर दो काले बिंदु होते हैं ।  




यह नारियल मुश्किल से मिलता है मगर मिलता है ।  ऐसा नारियल अगर आपको प्राप्त हो जाए तो उसे लाल कपड़े पर रखकर से धूप दीप दिखाएँ और उसी लाल कपड़े में बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां पर आप पैसे रखते हैं । 

जैसे तिजोरी या लॉकर ।  इससे लक्ष्मी प्राप्ति में सहयोग मिलता है । 


लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन के आगमन को ही माना जाता है । आप ध्यान दें तो यदि धन का जाना भी कम हो जाए अर्थात आप का खर्च कम हो जाए तो वह भी एक प्रकार से लक्ष्मी का आगमन ही है । 


कई परिवारों में अनावश्यक रूप से बीमारियों या इसी प्रकार की किसी अवांछित घटना के चलते धन का लगातार खर्च बढ़ता रहता है । ऐसी परिस्थितियों में भी एकाक्षी नारियल रखने या लक्ष्मी साधना करने से अनुकूलता मिल सकती है और बेवजह के खर्चों में कमी आने से आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है ...... 


सिद्ध मुहूर्त :-

  1. अक्षय तृतीया

  2. शरद पूर्णिमा 

  3. मकर संक्रांति 


अक्षय तृतीया का पर्व पूरे वर्ष में एक बार आता है ।  ज्योतिषीय व्याख्या के अनुसार यह पूरे वर्ष का ऐसा दिन होता है जिसमें किसी क्षण का भी क्षय या कमी नहीं होती है अर्थात यह पूर्णता का प्रतीक है या दूसरे शब्दों में कहें तो एक ऐसी स्थिति का प्रतीक है जिसमें कमी की गुंजाइश नहीं रहती है । 


दीपावली के अलावा लक्ष्मी साधना के लिए यह तीनों दिन अत्यंत ही सिद्ध मुहूर्त है ।  

इस दिन लक्ष्मी साधना करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है .. 



शुक्रवार, 29 मई 2020

एकाक्षी नारियल : लक्ष्मी कृपा

एकाक्षी नारियल 


हर गृहस्थ व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसके पास धन का अभाव न रहे ।  धन की प्राप्ति के लिए प्रयास आवश्यक है ।  उसके साथ साथ यदि आप देवी लक्ष्मी की साधना या कुबेर की साधना जैसे उपाय करें तब भी आपके प्रयासों को जल्दी सफलता मिलती है । 


इसके अलावा कुछ तांत्रिक वस्तुएं भी ऐसी हैं जो मुश्किल से मिलती है । लेकिन उनको घर में रखने मात्र से ही लक्ष्मी प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती है । 


इनमें से कई चीजें बेहद दुर्लभ है और कुछ चीजें कठिन है मगर मिल जाती है वैसी ही एक वस्तु है एकाक्षी नारियल । 


सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुह होता है अर्थात कुल मिलाकर तीन काले बिंदु होते हैं ।  



एकाक्षी नारियल में एक ही आंख होती है अर्थात उसमें कुल मिला कर दो काले बिंदु होते हैं ।  




यह नारियल मुश्किल से मिलता है मगर मिलता है ।  ऐसा नारियल अगर आपको प्राप्त हो जाए तो उसे लाल कपड़े पर रखकर से धूप दीप दिखाएँ और उसी लाल कपड़े में बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां पर आप पैसे रखते हैं । 

जैसे तिजोरी या लॉकर ।  इससे लक्ष्मी प्राप्ति में सहयोग मिलता है । 


लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन के आगमन को ही माना जाता है । आप ध्यान दें तो यदि धन का जाना भी कम हो जाए अर्थात आप का खर्च कम हो जाए तो वह भी एक प्रकार से लक्ष्मी का आगमन ही है । 


कई परिवारों में अनावश्यक रूप से बीमारियों या इसी प्रकार की किसी अवांछित घटना के चलते धन का लगातार खर्च बढ़ता रहता है । ऐसी परिस्थितियों में भी एकाक्षी नारियल रखने या लक्ष्मी साधना करने से अनुकूलता मिल सकती है और बेवजह के खर्चों में कमी आने से आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है ...... 


सिद्ध मुहूर्त :-

  1. अक्षय तृतीया

  2. शरद पूर्णिमा 

  3. मकर संक्रांति 


अक्षय तृतीया का पर्व पूरे वर्ष में एक बार आता है ।  ज्योतिषीय व्याख्या के अनुसार यह पूरे वर्ष का ऐसा दिन होता है जिसमें किसी क्षण का भी क्षय या कमी नहीं होती है अर्थात यह पूर्णता का प्रतीक है या दूसरे शब्दों में कहें तो एक ऐसी स्थिति का प्रतीक है जिसमें कमी की गुंजाइश नहीं रहती है । 


दीपावली के अलावा लक्ष्मी साधना के लिए यह तीनों दिन अत्यंत ही सिद्ध मुहूर्त है ।  इस मे से किसी भी एक दिन या सभी दिन इस नारियल के सामने लक्ष्मी साधना करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है .. 



बुधवार, 18 मार्च 2020

धूमावती शाबर साधना







सप्तम ज्योति धूमावती प्रगटी
।। धूमावती ।।



ॐ पाताल निरंजन निराकार, आकाश मण्डल धुन्धुकार, आकाश दिशा से कौन आये, कौन रथ कौन असवार, आकाश दिशा से धूमावन्ती आई, काक ध्वजा का रथ अस्वार आई थरै आकाश, विधवा रुप लम्बे हाथ, लम्बी नाक कुटिल नेत्र दुष्टा स्वभाव, डमरु बाजे भद्रकाली, क्लेश कलह कालरात्रि । डंका डंकनी काल किट किटा हास्य करी । जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्ते जाजा जीया आकाश तेरा होये । धूमावन्तीपुरी में वास, न होती देवी न देव तहा न होती पूजा न पाती तहा न होती जात न जाती तब आये श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथ आप भयी अतीत ।

ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा ।




1.      महाविद्या धूमावती  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  धूमावती  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


सोमवार, 16 दिसंबर 2013

शाबर मंत्र संग्रह

शाबर मंत्र संग्रह :-

शाबर मन्त्रों के साधकों के लिए एक प्रमाणिक और अद्भुत शाबर मन्त्रों का दिव्य संकलन है.
इसमें विभिन्न मन्त्रों तथा उनके प्रयोग की प्रमाणिक विधियाँ भी दी गयी हैं. 
प्रत्येक शाबर साधक को इस ग्रन्थ को अपने पास सहेजकर रखना चाहिए.
इसमें षट्कर्म से लेकर महाविद्या साधना तक हर क्षेत्र को सहेजा गया है. 
वर्षों से तंत्र क्षेत्र में प्रमाणिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्द चंडी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित होना ही इसके प्रमाणिक होने का प्रमाण है.


शाबर मंत्र संग्रह 
[१२ भागों में ]

पुरे संग्रह [१२ भाग] का मूल्य 515=०० [ पांच सौ पंद्रह मात्र ]

मनिआर्डर द्वारा 515=०० [ पांच सौ पंद्रह मात्र ] भेजकर मंगाने का पता तथा फ़ोन :-

प्रकाशक :-
कल्याण मंदिर प्रकाशन
श्री चंडी धाम 
अलोपी देवी मार्ग
प्रयाग - 211006 
फोन - 0532-2502783
मोबाईल -94502-22767


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शनिवार, 16 नवंबर 2013

शाबर मंत्र संग्रह

शाबर मंत्र संग्रह :-

शाबर मन्त्रों के साधकों के लिए एक प्रमाणिक और अद्भुत शाबर मन्त्रों का दिव्य संकलन है.
इसमें विभिन्न मन्त्रों तथा उनके प्रयोग की प्रमाणिक विधियाँ भी दी गयी हैं.
प्रत्येक शाबर साधक को इस ग्रन्थ को अपने पास सहेजकर रखना चाहिए.
इसमें षट्कर्म से लेकर महाविद्या साधना तक हर क्षेत्र को सहेजा गया है.
वर्षों से तंत्र क्षेत्र में प्रमाणिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्द चंडी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित होना ही इसके प्रमाणिक होने का प्रमाण है.


शाबर मंत्र संग्रह
[१२ भागों में ]

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बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

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  • शाबर मन्त्रों के साधकों के लिए एक प्रमाणिक और अद्भुत शाबर मन्त्रों का दिव्य संकलन है.
  • इसमें विभिन्न मन्त्रों तथा उनके प्रयोग की प्रमाणिक विधियाँ भी दी गयी हैं. 
  • प्रत्येक शाबर साधक को इस ग्रन्थ को अपने पास सहेजकर रखना चाहिए.
  • इसमें षट्कर्म से लेकर महाविद्या साधना तक हर क्षेत्र को सहेजा गया है. 
  • वर्षों से तंत्र क्षेत्र में प्रमाणिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्द चंडी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित होना ही इसके प्रमाणिक होने का प्रमाण है.


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सोमवार, 16 सितंबर 2013

शाबर मंत्र संग्रह

शाबर मंत्र संग्रह :-

  • शाबर मन्त्रों के साधकों के लिए एक प्रमाणिक और अद्भुत शाबर मन्त्रों का दिव्य संकलन है.
  • इसमें विभिन्न मन्त्रों तथा उनके प्रयोग की प्रमाणिक विधियाँ भी दी गयी हैं. 
  • प्रत्येक शाबर साधक को इस ग्रन्थ को अपने पास सहेजकर रखना चाहिए.
  • इसमें षट्कर्म से लेकर महाविद्या साधना तक हर क्षेत्र को सहेजा गया है. 
  • वर्षों से तंत्र क्षेत्र में प्रमाणिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्द चंडी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित होना ही इसके प्रमाणिक होने का प्रमाण है.


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शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

शाबर गुरु मंत्र


शाबर गुरु मंत्र कई प्रकार के हैं.
साधना करने से पहले इनमे से किसी एक का ११०० बार जाप कर सिद्ध कर लेना चाहिए.

किसी भी साधन या प्रयोग के पहले ११ बार गुरु मंत्र का उचारण कर लेने से बढ़िया रहता है.

शाबर गुरु मंत्र :-

गुरु सठ  गुरु सठ हैं वीर ,
गुरु साहब सुमरौं बड़ी भांत,
सिंगी टोरों बन कहों ,
मन नाऊँ करतार ,
सकल गुरु को हर भजे,
घट्टा पकर उठ जाग,
चेत संभार श्री परम हंस ||






सोमवार, 2 सितंबर 2013

अघोर चतुर्दशी : ३ सितम्बर

शाबर मन्त्रों के अधिपति भगवान शिव हैं. उनका सबसे प्रचंड स्वरुप है अघोर शिव. उनकी साधना से साधना का मार्ग सहज और सरल हो जाता है :-




॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥

  • १,२५,००० मंत्र का जाप .
  • दिगंबर/नग्न  अवस्था में जाप करें
  • अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं. 
  • लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए  चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं  करें. यह गम्भीर  नुकसान कर सकता है.
  • गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे  की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
  • रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
  • जिस माला से आप जाप कर रहे हैं उसपर जप से पहले भस्म अर्पित करें.
  • जाप होने के बाद माला गले में धारण करें.
  • इस माला को किसी को स्पर्श न करने दें.
  • आगे की साधनाएँ करते समय इस माला को गले में धारण किये रहें तो यह सुरक्षा चक्र  का काम करेगा.
  • जाप के बाद थोड़ी देर साधना स्थल पर शांत होकर बैठें.
  • भावना करें की., "जाप से जो उर्जा उठी है वह मेरे शारीर और आत्मा में समाहित हो रही है, मै शिवमय हो रहा हूँ "
  • जाप से उठने के बाद स्नान अवश्य करें. यह मन्त्र शारीर को बहुत गर्म कर देता है, यदि संभव हो तो ठन्डे पानी से ही स्नान करें.
  • जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
  • जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें. शिव कृपा होगी.


शनिवार, 31 अगस्त 2013

शाबर मंत्र संग्रह

शाबर मंत्र संग्रह :-

  • शाबर मन्त्रों के साधकों के लिए एक प्रमाणिक और अद्भुत शाबर मन्त्रों का दिव्य संकलन है.
  • इसमें विभिन्न मन्त्रों तथा उनके प्रयोग की प्रमाणिक विधियाँ भी दी गयी हैं. 
  • प्रत्येक शाबर साधक को इस ग्रन्थ को अपने पास सहेजकर रखना चाहिए.
  • इसमें षट्कर्म से लेकर महाविद्या साधना तक हर क्षेत्र को सहेजा गया है. 
  • वर्षों से तंत्र क्षेत्र में प्रमाणिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्द चंडी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित होना ही इसके प्रमाणिक होने का प्रमाण है.


शाबर मंत्र संग्रह 
[१२ भागों में ]

पुरे संग्रह [१२ भाग] का मूल्य 515=०० [ पांच सौ पंद्रह मात्र ]

मनिआर्डर द्वारा 515=०० [ पांच सौ पंद्रह मात्र ] भेजकर मंगाने का पता तथा फ़ोन :-

प्रकाशक :-
कल्याण मंदिर प्रकाशन
श्री चंडी धाम 
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बुधवार, 28 अगस्त 2013

शाबर मंत्र साधना करते समय सावधानियां


  1. आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
  2. बकवास और प्रलाप न करें.
  3. किसी पर गुस्सा न करें.
  4. किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न हो, अपमान न करें.
  5. यथासंभव मौन रहें.
  6. जप और साधना का ढोल पीटते न रहें, इसे यथा संभव गोपनीय रखें.
  7. बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें. ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
  8. गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.
  9. ब्रह्मचर्य का पालन करें.विवाहित हों तो साधना काल में बहुत जरुरी होने पर अपनी पत्नी से सम्बन्ध रख सकते हैं.
  10. अपनी पूजन सामग्री और देवी देवता के यंत्र चित्र को किसी दुसरे को स्पर्श न करने दें.

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

शाबर मंत्र साधना करने से पहले क्या करें.








  • सर्वश्रेष्ट तो यह है की आप गुरु खोजें और उससे मंत्र प्राप्त करें.
  • गुरु मंत्र का १२५००० जाप करें . फिर दूसरी साधना करें.
  • यदि गुरु न मिले तो निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का १२५००० जाप करें फिर साधना प्रारंभ करें.:-
१] शिव पंचाक्षरी मंत्रम :-

:: ॐ नमः शिवाय ::

२] महाकाली बीज मंत्रम :-

|| ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ॐ ||
३] शिव शक्ति मंत्रम :-

|| ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||

४] शिव गुरु मंत्रम :-

|| ॐ महादेवाय जगद्गुरुवे नमः ||



जप कैसे करें:-

  • रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं.
  • गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं.
  • इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
  • गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए.

रविवार, 25 अगस्त 2013

शाबर मंत्र साधना में गुरु की आवश्यकता


  • शाबर मंत्र साधना के लिए गुरु धारण करना श्रेष्ट होता है.
  • गुरु साधना से उठने वाली उर्जा को नियंत्रित और संतुलित करता है जिससे साधना में जल्दी सफलता मिल जाती है.
  • वैसे ये साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
  • शाबर साधना गुरु के आभाव में करने से पहले अपने इष्ट या भगवान शिव के मंत्र का एक पुरस्चरण यानि १,२५,००० जाप कर लेना चाहिए.
  • इसके अलावा हनुमान चालीसा का नित्य पाठ भी लाभदायक होता है.

गुरुवार, 22 अगस्त 2013

शाबर मन्त्रों के सामान्य नियम.



|| ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ||
  1. शाबर मंत्रों की साधना किसी भी जाति , धर्म या लिंग का व्यक्ति कर सकता है.
  2. इन मन्त्रों का संयोजन विभिन्न संतों और योगियों ने अलग अलग भाषाओँ में किया है, ये लगभग सभी भाषाओँ में पाए जाते हैं.
  3. इनका संयोजन अजीब होता है , कई बार ये निरर्थक शब्द जैसे लगते हैं पर उन्हें यथावत पढ़ना और प्रयोग करना चाहिए.
  4. शाबर मंत्र की साधना में गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु के साथ की गई साधनायें जल्द सफल होती हैं.
  5. इन साधनों में आचार विचार की शुद्धता और पवित्रता से जल्द लाभ होता है.
  6. शाबर मंत्र के जनक आदिदेव महादेव हैं , इसलिए हर साधना से पहले महादेव और पारवती का पूजन अनिवार्य है. 
  7. शाबर मन्त्रों में दुहाई दी जाती है, इसमें अपने गुरु ,महादेव पार्वती और इष्ट की दुहाई विशेष रूप से दी जाती है.