नवम ज्योति मातंगी प्रगटी ।
।। मातंगी ।।
ॐ शून्य शून्य महाशून्य, महाशून्य में ॐ-कार, ॐ-कार में शक्ति,
शक्ति अपन्ते उहज आपो आपना, सुभय में धाम कमल
में विश्राम, आसन बैठी, सिंहासन बैठी
पूजा पूजो मातंगी बाला, शीश पर अस्वारी उग्र उन्मत्त
मुद्राधारी, उद गुग्गल पाण सुपारी, खीरे
खाण्डे मद्य-मांसे घृत-कुण्डे सर्वांगधारी । बुन्द मात्रेन कडवा प्याला, मातंगी माता तृप्यन्ते । ॐ मातंगी-सुन्दरी, रुपवन्ती,
कामदेवी, धनवन्ती, धनदाती,
अन्नपूर्णी अन्नदाती, मातंगी जाप मन्त्र जपे
काल का तुम काल को खाये । तिसकी रक्षा शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी करे ।
ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट्
स्वाहा ।
1.
महाविद्या मातंगी का
शाबर मंत्र है ।
2.
नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.
सात्विक आहार विचार और आचार रखें ।
4.
ब्रह्मचर्य का पालन करे ।
5.
किसी प्रकार का नशा न करें ।
6. सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो
तो उनका दिया हुआ मंत्र 21
बार जपें ।
7.
यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।...
॥
ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
8.
कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो
जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
9. मातंगी साधना से पूर्ण गृहस्थ
सुख की प्राप्ति होती है ।पति पत्नी मे लगातार
विवाद बना रहता हो तो दोनों को यह साधना करनी चाहिए ।
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