शाबर मंत्र सामान्य जन की भाषा में लिखे हुए मंत्र होते हैं और उसमें व्याकरण की त्रुटि या शब्दों का अर्थ निकालने का प्रयास नहीं करना चाहिए और वे जैसे हैं वैसे ही पाठ कर लेना चाहिए ।
इसमें अलग-अलग स्रोतों के हिसाब से शब्दों में फर्क पड़ सकता है जो कि अलग-अलग साधकों के द्वारा अपने ढंग से प्रस्तुत किए जाते हैं लेकिन सभी सुखद परिणाम देते हैं।
पढ़ने में सरल होते हैं इसलिए कोई भी व्यक्ति से कर सकता है ।
इन मंत्रों का प्रयोग पुरुष या स्त्री कोई भी कर सकता है ।
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को |
नमो सिद्ध गणपति प्रसादात विघ्न हर्तुम गणपत गणपत वसो मसाण |
जो फल चाहूं सो फल आण , पञ्च लाडूँ , सिर सिन्दूर , रिद्धि सिद्धि आण |
गौरी का पुत्र सिंहासन बैठा |
राजा काम्पै प्रजा काम्पै दृष्टे राजा सिम चाम्पे| पञ्च कोष पूर्व पश्चिम से आण उत्तर से आण दक्षिण से आण |
इतनी कर रिद्धि सिद्धि मेरे घर द्वार आण|
राजा प्रजा अभी मेरो पड़े पाँव न पड़े तो लाजे मैया गौरी |
जो मै देखूं गणेश बाला कर मंत्र का सत की फट फट स्वाहा |
विधि:-
चंद्रग्रहण २६ मई को दोपहर लगभग सवा दो से शाम सवा सात बजे के बीच भोजपत्र पर इस मंत्र को लिख कर उसके सामने 1008 बार जाप करें . भोजपत्र न मिले तो कागज या रेशमी कपडे पर लिख सकते हैं . लिखने के लिए अष्टगंध या कुमकुम का प्रयोग करें .
जाप के समय गुग्गुल का धुप जलता रहे तो अच्छा है.
जाप के बाद ताबीज में भरकर पहन लें या धन रखने के स्थान में रख लें.
दूकान हो तो वहां गल्ले में भी रख सकते हैं.
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