मंगलवार, 16 जून 2020

नवरात्रि : महाकाली शाबर मंत्र

प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।




ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार
तत सार मध्ये ज्योत
ज्योत मध्ये परम ज्योत
परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता 
शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली
कृष्ण वर्णीशव वाहनीरुद्र की पोषणी
हाथ खप्पर खडग धारी
गले मुण्डमाला हंस मुखी । 
जिह्वा ज्वाला दन्त काली । 
मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । 
मांस खाये रक्त-पी-पीवे । 
भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । 
सत की नाती , धर्म की बेटी । 
इन्द्र की साली , काल की काली । 
जोग की जोगीननागों की नागीन । 
मन माने तो संग रमाई, नहीं तो श्मशान फिरे । 
अकेली चार वीर अष्ट भैरोंघोर काली अघोर काली । 
अजर महाकाली । 
बजर अमर काली । 
भख जून निर्भय काली । 

बला भखदुष्ट को भख
काल भख, पापी पाखण्डी को भख । 

जती सती को रख । 

ॐ काली तुम बाला ना वृद्धादेव ना दानवनर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।



मूल मंत्र -

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।



विधि -

  1. महाकाली की कृपा प्रदान करेगा ।
  2. अपनी क्षमतानुसार 1, 3,9,11,21,51,108 बार जाप रात्रिकाल मे करें।
  3. नवरात्रि मे करने से विशेष लाभदायक होगा। 
  4. धूप जलाकर रखें । 

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