चतुर्थ ज्योति भुवनेश्वरी प्रगटी ।
।। भुवनेश्वरी।।
ॐ आदि ज्योति
अनादि ज्योत ज्योत मध्ये परम ज्योत परम ज्योति मध्ये शिव गायत्री भई उत्पन्न, ॐ प्रातः समय उत्पन्न
भई देवी भुवनेश्वरी । बाला सुन्दरी कर धर वर पाशांकुश अन्नपूर्णी दूध पूत बल दे
बालका ऋद्धि सिद्धि भण्डार भरे, बालकाना बल दे जोगी को अमर
काया । चौदह भुवन का राजपाट संभाला कटे रोग योगी का, दुष्ट
को मुष्ट, काल कन्टक मार । योगी बनखण्ड वासा, सदा संग रहे भुवनेश्वरी माता ।
॥ ह्रीं ॥
1.
महाविद्या भुवनेश्वरी का शाबर मंत्र है ।
2. नवरात्रि मे यथा संभव जाप
करें ।
3. सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो
तो उनका दिया हुआ मंत्र 21
बार जपें ।
4. यदि गुरु न बनाया हो तो
निम्नलिखित गुरु मंत्र 21
बार जपें ।...
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5. कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6. भुवनेश्वरी साधना से सभी प्रकार
का ऐश्वर्य प्राप्त होता है ।
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