प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।
ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार,
तत सार मध्ये ज्योत,
ज्योत मध्ये परम ज्योत,
परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता
शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली,
कृष्ण वर्णी, शव वाहनी, रुद्र की पोषणी,
हाथ खप्पर खडग धारी,
गले मुण्डमाला हंस मुखी ।
जिह्वा ज्वाला दन्त काली ।
मद्यमांस कारी श्मशान की राणी ।
मांस खाये रक्त-पी-पीवे ।
भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई ।
सत की नाती , धर्म की बेटी ।
इन्द्र की साली , काल की काली ।
जोग की जोगीन, नागों की नागीन ।
मन माने तो संग रमाई, नहीं तो श्मशान फिरे ।
अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली ।
अजर महाकाली ।
बजर अमर काली ।
भख जून निर्भय काली ।
बला भख, दुष्ट को भख,
काल भख, पापी पाखण्डी को भख ।
जती सती को रख ।
ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।
मूल मंत्र -
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।
1.
महाविद्या महाकाली का शाबर मंत्र है ।
2.
3. सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो
तो उनका दिया हुआ मंत्र 21
बार जपें ।
4. यदि गुरु न बनाया हो तो
निम्नलिखित गुरु मंत्र 21
बार जपें ।...
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5. कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6. महाकाली साधना से सभी प्रकार से
सुरक्षा और कृपा प्राप्त होती है ।
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