।। महाविद्या षोडशी-त्रिपुर
सुन्दरी शाबर मंत्र ।।
ॐ निरञ्जन निराकार अवधू
मूल द्वार में बन्ध लगाई ।
पवन पलटे गगन समाई,
ज्योति मध्ये
ज्योत ले स्थिर हो भई ।
ॐ मध्याः उत्पन्न भई ।
उग्र त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति आवो शिवधर
बैठो,
मन उनमन,
बुध सिद्ध चित्त में
भया नाद ।
तीनों एक त्रिपुर सुन्दरी भया प्रकाश ।
हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश ।
त्रिनेत्रा अभय मुद्रा योग भोग की मोक्षदायिनी ।
इडा पिंगला सुषम्ना देवी ।
नागन
जोगन त्रिपुर सुन्दरी ।
उग्र बाला, रुद्र बाला ,
तीनों
ब्रह्मपुरी में भया उजियाला ।
योगी के घर जोगन बाला, ब्रह्मा
विष्णु शिव की माता ।
श्री त्रिपुर सुंदरी मंत्र
श्रीं ह्रीं क्लीं । ऐं
सौः ॐ । ह्रीं श्रीं ।
कएईलह्रीं । हसकहल ह्रीं । सकल ह्रीं ।
श्रीं ह्रीं । ॐ सोः ऐं । क्लीं ह्रीं श्रीं ।
विधि :-
- रात्री काल मे जाप करें ।
- आर्थिक तथा वैवाहिक सुख प्रदायक ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें