भगवती
महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र
ॐ क्रीं क्रीँ क्रीँ
ह्रीँ ह्रीँ हूं
हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं
स्वाहा ।
शुचिजाया, महापिशाचिनी, दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ
कामेश्वरी, वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ
महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं महालक्ष्यै ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ हसकहल ह्रीँ हस्त्रैँ ॐ ह्रीँ क्लीँ मे स्वाहा ।
ॐ ॐ ह्रीँ ईं स्वाहा ।
दक्षिणकालिके
क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।
खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे, ॐ ह्रीँ नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच । मथ मथ ।
फ्रेँ
विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे,
अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम
शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ
क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके,
सर्वजगद वशमानय वशमानय
।
मातंगिनी
उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।
विस्फारिणी
। कपालधरे । घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी ।
उन्मादिनी ।
रोँ रोँ रोँ रीँ ह्रीँ श्रीँ हसौः
सौँ वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ क्रीँ क्रीँ
कति कति स्वाहा |
काहि काहि
कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं
क्रीँ स्वाहा ।
हृदयाये ॐ
ह्रीँ क्रीँ
मे स्वाहा ।
ठः ठः ठः
क्रीँ ह्रं
ह्रीँ चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् ।
अमून
शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके । श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे ।
दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं
कालिके । करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये ।
गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल
विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ । निदर्शिके
। देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।
रिपुन्दर्शने
दर्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ क्रीँ क्रीँ हूं हूं ह्रीँ ह्रीँ फट् स्वाहा ।
शक्तिरुपायै
। रोँ
वा गणपायै । रोँ रोँ रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके ।
महाकायायै । प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि
। महाकालरसिकायै । नमो नमः ।
ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै
नमो नमः ।
शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै
। विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि ।
कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ ह्रीँ रक्ष
रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके ।
शक्ति । मार्तण्ड ।
भैरवि । विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो
नमः ।
खः खः खः
मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।
ब्राम्हयै
नमो नमः ।
माहेश्वर्यै
नमो नमः ।
कौमार्यै
नमो नमः ।
वैष्णव्यै
नमो नमः ।
वाराह्यै
नमो नमः ।
इन्द्राण्यै
नमो नमः ।
चामुण्डायै
नमो नमः ।
अपराजितायै
नमो नमः ।
नारसिँहिकायै
नमो नमः ।
कालि ।
महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।
पाहि पाहि
ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय
क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय
मोहय महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी ।
अंजनसिद्धके । स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि
दर्शय दर्शय स्वाहा ।।
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कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी
जाति धर्म या लिंग का हो इस पूजन को कर सकता है इसमें किसी प्रकार का कोई बंधन
नहीं है ।
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ऐसे व्यक्ति जिन्होंने गुरु नहीं
बनाया है वह भी देवी महाकाली को गुरु मानकर इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं ।
·
सिर्फ एक बात का ध्यान रखेंगे कि यह
प्रयोग विवाहित स्त्री पुरुषों के ऊपर ही कार्य करेगा अर्थात विवाहित पति पत्नी के
बीच में किसी कारण से अलगाव हो या नहीं बन रही हो ऐसी स्थिति में इस मंत्र का
प्रयोग परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए महाकाली की कृपा प्रदान करेगा ।
·
किसी का वशीकरण या मोहन आदि करने के
लिए इसका प्रयोग करने पर यह असर नहीं करेगा , इस बात का
ध्यान रखेंगे ।
·
विधि सरल है । चमेली के तेल का दीपक
जलाकर रात्री 9 बजे से 4 बजे के बीच तीन घंटे
मंत्र जाप करना है ।
·
यह पंद्रह दिन की साधना है । इसे
किसी अमावस्या से प्रारम्भ कर अगली पूर्णिमा पर पूर्ण करेंगे ।
·
जहां पर माम, मे , मम जैसे शब्द आए हैं वहां पर अपना नाम लेना है
।
· जहां पर अमुकान, सर्वजन जैसे शब्द आए हैं, वहां पर पति या
पत्नी का नाम लेना है, जिसे अनुकूल बनाना चाहते हैं।
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इसमें किसी प्रकार की कोई गारंटी
नहीं है । भगवती काली की कृपा प्राप्त होना जाप करने वाले की श्रद्धा विश्वास और
भावना पर निर्भर करता है । अतः पाठक स्वविवेक से निर्णय लें , तथा उचित समझें तभी इस मंत्र का जाप करें ।
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