इन मन्त्रों का प्रयोग साधना या प्रयोग के पहले साधक अपने शरीर को
बांधने के लिए करते हैं | इन मन्त्रों के द्वारा प्रयोग के दौरान किसी भी
प्रकार के आघात से सुरक्षा मिलती है |
आगे निखिलेश्वरानंद गुरु की चौकी |
दाहिने नरसिंह की चौकी |
पीछे काल भैरव की चौकी |
बाएं हनुमंत की चौकी |
ऊपर ब्रह्मा की चौकी |
नीचे शेषनाग की चौकी |
दशों दिसा में छप्पन कोटि देवी-देवता की चौकी |
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मन्त्र इश्वरी वाचा ||
- गोबर के कंडे में धुप जलाते रहें |
- जाप के पहले एक पानी वाला नारियल काले कपड़े में सामने रख लें |
- जाप के बाद उस कपडे को लपेट लें ताकि उस नारियल को कोई दूसरा ना देख सके |
- नवरात्री में १००८ बार जाप करें |
- जाप पूरा होने वाले दिन जाप समाप्त कर उस नारियल को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर २१ बार घुमा लें | इसके बाद उस नारियल को काले कपडे में लपेट कर नदी में विसर्जित कर दें |
- जब रक्षा की आवश्यकता हो तो तीन बार पाठ करके जमीं पर बाएं पैर से तीन प्रहार करें | बाएं पैर में अपनी तीन ऊँगली से स्पर्श करें और उन्ही उँगलियों से अपने माथे पर त्रिपुंड यानी तीन लाइनों वाला तिलक (शंकर भगवान् वाला ) बना लें | भगवान् शिव ( जो शबर मन्त्रों के अधिपति हैं) को प्रणाम कर अपना कार्य प्रारंभ करें|
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