पेज

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

रक्षा शाबर मंत्र

इन मन्त्रों का प्रयोग साधना या प्रयोग के पहले साधक अपने शरीर को बांधने के लिए करते हैं | इन मन्त्रों के द्वारा प्रयोग के दौरान किसी भी प्रकार के आघात से सुरक्षा मिलती है |

आगे निखिलेश्वरानंद गुरु  की चौकी |
दाहिने नरसिंह की चौकी |
पीछे काल भैरव की चौकी |
बाएं हनुमंत की चौकी |
ऊपर ब्रह्मा की चौकी |
नीचे शेषनाग की चौकी |
दशों दिसा में छप्पन कोटि देवी-देवता की चौकी |
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मन्त्र इश्वरी वाचा ||
  • गोबर के कंडे में धुप जलाते रहें |
  • जाप के पहले एक पानी वाला नारियल काले कपड़े में सामने रख लें |
  •  जाप के बाद उस कपडे को लपेट लें ताकि उस नारियल को कोई दूसरा ना देख सके |
  • नवरात्री में १००८ बार जाप करें |
  • जाप पूरा होने वाले दिन जाप समाप्त कर  उस नारियल को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर २१ बार घुमा लें | इसके बाद उस नारियल को काले कपडे में लपेट कर नदी में विसर्जित कर दें |
  • जब रक्षा की आवश्यकता हो तो तीन बार पाठ करके जमीं पर बाएं पैर से तीन प्रहार करें |  बाएं पैर में अपनी तीन ऊँगली से स्पर्श करें और उन्ही उँगलियों से अपने माथे पर त्रिपुंड यानी तीन लाइनों वाला  तिलक (शंकर भगवान् वाला ) बना लें | भगवान् शिव ( जो शबर मन्त्रों के अधिपति हैं) को प्रणाम कर अपना कार्य प्रारंभ करें|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें