मंगलवार, 26 मई 2020

पाँच मुखी रुद्राक्ष के प्रयोग

 पाँच मुखी रुद्राक्ष 



  • पञ्च मुखी रुद्राक्ष सहजता से मिल जाता है। 
  • यह पंच देवों का स्वरूप है । 
  • शिवकृपा देता है । 
  • उच्च रक्तचाप HIGH BP में लाभदायक है । 
  • शिवरात्रि या किसी सोमवार को 1008 बार "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप कर धारण करने से रक्षा कवच का काम करता है . इसे पहनने से नजर/तंत्र /टोटका से रक्षा मिलती है .
  • अमावस्या, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी , शिवरात्रि या किसी सोमवार को अपने सामने चौकी मे इसे रखकर  1008 बार "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप बेलपत्र या पुष्प चढ़ाते हुए करे। इसे अपने वाहन मे रखें । दुर्घटनाओं मे रक्षा प्रदान करेगा । 
  • किसी को ऊपरी बाधा लग रही हो तो हनुमानजी को चोला चढ़ाने के समय पांचमुखी रुद्राक्ष उनके चरणों के पास रखें । हनुमान चालीसा का 11 पाठ करें । हर पाठ के बाद उनके बाएँ पांव से सिंदूर लेकर रुद्राक्ष पर लगाएँ ।  फिर पीड़ित को पहना दें । और फिर से 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें । लाभ होगा । 
  • घर की रक्षा के लिए पाँच मुखी रुद्राक्ष के 11 दाने ले लें । उसे कटोरी मे गंगा जल मे डूबा दें । 1008 बार " ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः ॐ " मंत्र का जाप करें । हर दिन जल बदल देंगे । पहले दिन के जल को घर मे छिड़क देंगे । 11 दिन तक नित्य ऐसा करें । 11 दिन के बाद सफ़ेद या लाल कपड़े मे बांधकर घर के मुख्य द्वार के ऊपर लटका दें । रोज धूप दिखाते रहें । 
  • इसे साथ मे रखने से ही बहुत सारी नकारात्मक शक्तियाँ भाग जाती हैं । 

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

महाविद्या महाकाली का शाबर मंत्र




प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।
॥महाकाली ॥

ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार, तत सार मध्ये ज्योत, ज्योत मध्ये परम ज्योत, परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली, कृष्ण वर्णी, शव वहानी, रुद्र की पोषणी, हाथ खप्पर खडग धारी, गले मुण्डमाला हंस मुखी । जिह्वा ज्वाला दन्त काली । मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । मांस खाये रक्त-पी-पीवे । भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । सत की नाती धर्म की बेटी इन्द्र की साली काल की काली जोग की जोगीन, नागों की नागीन मन माने तो संग रमाई नहीं तो श्मशान फिरे अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली अजर ।। महाकाली ।।

बजर अमर काली भख जून निर्भय काली बला भख, दुष्ट को भख, काल भख पापी पाखण्डी को भख जती सती को रख, ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा


1.      महाविद्या महाकाली का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  महाकाली साधना से सभी प्रकार से सुरक्षा और कृपा प्राप्त होती है ।


गुरुवार, 19 मार्च 2020

कमला शाबर मंत्र






दसवीं ज्योति कमला प्रगटी ।
।। कमला ।।

ॐ अ-योनी शंकर ॐ-कार रुप, कमला देवी सती पार्वती का स्वरुप । हाथ में सोने का कलश, मुख से अभय मुद्रा । श्वेत वर्ण सेवा पूजा करे, नारद इन्द्रा । देवी देवत्या ने किया जय ॐ-कार । कमला देवी पूजो केशर पान सुपारी, चकमक चीनी फतरी तिल गुग्गल सहस्र कमलों का किया हवन । कहे गोरख, मन्त्र जपो जाप जपो ऋद्धि सिद्धि की पहचान गंगा गौरजा पार्वती जान । जिसकी तीन लोक में भया मान । कमला देवी के चरण कमल को आदेश ।

॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध-लक्ष्म्यै नमः ॥



1.      महाविद्या कमला  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सात्विक आहार विचार और आचार  रखें ।
4.   ब्रह्मचर्य का पालन करे  
5.    किसी प्रकार का नशा न करें ।
6.  सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
7.    यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
8.   कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
9.  कमला  साधना से व्यापार मे लाभ होता है ....



मातंगी शाबर साधना






  

नवम ज्योति मातंगी प्रगटी ।
।। मातंगी ।।

ॐ शून्य शून्य महाशून्य, महाशून्य में ॐ-कार, ॐ-कार में शक्ति, शक्ति अपन्ते उहज आपो आपना, सुभय में धाम कमल में विश्राम, आसन बैठी, सिंहासन बैठी पूजा पूजो मातंगी बाला, शीश पर अस्वारी उग्र उन्मत्त मुद्राधारी, उद गुग्गल पाण सुपारी, खीरे खाण्डे मद्य-मांसे घृत-कुण्डे सर्वांगधारी । बुन्द मात्रेन कडवा प्याला, मातंगी माता तृप्यन्ते । ॐ मातंगी-सुन्दरी, रुपवन्ती, कामदेवी, धनवन्ती, धनदाती, अन्नपूर्णी अन्नदाती, मातंगी जाप मन्त्र जपे काल का तुम काल को खाये । तिसकी रक्षा शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी करे ।

ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा ।


1.      महाविद्या मातंगी  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सात्विक आहार विचार और आचार  रखें ।
4.   ब्रह्मचर्य का पालन करे  
5.    किसी प्रकार का नशा न करें ।
6.  सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
7.    यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
8.   कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
9.  मातंगी साधना से पूर्ण गृहस्थ सुख की  प्राप्ति होती है ।पति पत्नी मे लगातार विवाद बना रहता हो तो दोनों को यह साधना करनी चाहिए ।  



बगलामुखी शाबर साधना











अष्टम ज्योति बगलामुखी प्रगटी ।
।। बगलामुखी ।।

ॐ सौ सौ दुता समुन्दर टापू, टापू में थापा सिंहासन पीला । सिंहासन पीले ऊपर कौन बसे । सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बसे, बगलामुखी के कौन संगी कौन साथी । कच्ची बच्ची काक-कूतिया-स्वान-चिड़िया, ॐ बगला बाला हाथ मुद्-गर मार, शत्रु हृदय पर सवार तिसकी जिह्वा खिच्चै बाला । बगलामुखी मरणी करणी उच्चाटण धरणी, अनन्त कोट सिद्धों ने मानी ॐ बगलामुखी रमे ब्रह्माण्डी मण्डे चन्दसुर फिरे खण्डे खण्डे । बाला बगलामुखी नमो नमस्कार ।

ॐ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भन-बाणाय धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्




1.      महाविद्या बगलामुखी  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सात्विक आहार विचार और आचार  रखें ।
4.   ब्रह्मचर्य का पालन करे  
5.    किसी प्रकार का नशा न करें ।
6.  सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
7.    यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
8.   कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
9.  बगलामुखी साधना से सभी प्रकार की शत्रु बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


बुधवार, 18 मार्च 2020

धूमावती शाबर साधना







सप्तम ज्योति धूमावती प्रगटी
।। धूमावती ।।



ॐ पाताल निरंजन निराकार, आकाश मण्डल धुन्धुकार, आकाश दिशा से कौन आये, कौन रथ कौन असवार, आकाश दिशा से धूमावन्ती आई, काक ध्वजा का रथ अस्वार आई थरै आकाश, विधवा रुप लम्बे हाथ, लम्बी नाक कुटिल नेत्र दुष्टा स्वभाव, डमरु बाजे भद्रकाली, क्लेश कलह कालरात्रि । डंका डंकनी काल किट किटा हास्य करी । जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्ते जाजा जीया आकाश तेरा होये । धूमावन्तीपुरी में वास, न होती देवी न देव तहा न होती पूजा न पाती तहा न होती जात न जाती तब आये श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथ आप भयी अतीत ।

ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा ।




1.      महाविद्या धूमावती  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  धूमावती  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


मंगलवार, 17 मार्च 2020

त्रिपुरभैरवी साधना







षष्टम ज्योति भैरवी प्रगटी ।
।। त्रिपुर भैरवी ।।


ॐ सती भैरवी भैरो काल यम जाने यम भूपाल तीन नेत्र तारा त्रिकुटा, गले में माला मुण्डन की । अभय मुद्रा पीये रुधिर नाशवन्ती ! काला खप्पर हाथ खंजर, कालापीर धर्म धूप खेवन्ते वासना गई सातवें पाताल, सातवें पाताल मध्ये परम-तत्त्व परम-तत्त्व में जोत, जोत में परम जोत, परम जोत में भई उत्पन्न काल-भैरवी, त्रिपुर-भैरवी, सम्पत्त-प्रदा-भैरवी, कौलेश-भैरवी, सिद्धा-भैरवी, विध्वंसिनि-भैरवी, चैतन्य-भैरवी, कामेश्वरी-भैरवी, षटकुटा-भैरवी, नित्या-भैरवी । जपा अजपा गोरक्ष जपन्ती यही मन्त्र मत्स्येन्द्रनाथजी को सदा शिव ने कहायी । ऋद्ध फूरो सिद्ध फूरो सत श्रीशम्भुजती गुरु गोरखनाथजी अनन्त कोट सिद्धा ले उतरेगी काल के पार, भैरवी भैरवी खड़ी जिन शीश पर, दूर हटे काल जंजाल भैरवी मन्त्र बैकुण्ठ वासा । अमर लोक में हुवा निवासा ।

ॐ ह्सैं ह्स्क्ल्रीं ह्स्त्रौः




1.      महाविद्या त्रिपुरभैरवी  का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  त्रिपुरभैरवी  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


सोमवार, 16 मार्च 2020

महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र






॥ पञ्चम ज्योति छिन्नमस्ता प्रगटी ॥
॥ छिन्नमस्ता ॥


सत का धर्म सत की काया, ब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठा, नाभ कमल पर छिन्नमस्ता, चन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवी, त्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरी, तन का मुन्डा हाथ में लिन्हा, दाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्त, बरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजाली, श्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छाया, प्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डी, चण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जती, सती को रख, योगी घर जोगन बैठी, श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जाप, पाप कन्टन्ते आपो आप, जो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।

श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्र-वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा ।



1.      महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  छिन्नमस्ता  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।


रविवार, 15 मार्च 2020

महाविद्या भुवनेश्वरी का शाबर मंत्र


चतुर्थ ज्योति भुवनेश्वरी प्रगटी ।
।। भुवनेश्वरी।।


ॐ आदि ज्योति अनादि ज्योत ज्योत मध्ये परम ज्योत परम ज्योति मध्ये शिव गायत्री भई उत्पन्न, ॐ प्रातः समय उत्पन्न भई देवी भुवनेश्वरी । बाला सुन्दरी कर धर वर पाशांकुश अन्नपूर्णी दूध पूत बल दे बालका ऋद्धि सिद्धि भण्डार भरे, बालकाना बल दे जोगी को अमर काया । चौदह भुवन का राजपाट संभाला कटे रोग योगी का, दुष्ट को मुष्ट, काल कन्टक मार । योगी बनखण्ड वासा, सदा संग रहे भुवनेश्वरी माता ।
॥ ह्रीं ॥
1.      महाविद्या भुवनेश्वरी का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  भुवनेश्वरी साधना से सभी प्रकार का ऐश्वर्य प्राप्त होता है ।


शुक्रवार, 13 मार्च 2020

षोडशी-त्रिपुर सुन्दरी : शबर मंत्र



तृतीय ज्योति त्रिपुर सुन्दरी प्रगटी ।
।। षोडशी-त्रिपुर सुन्दरी ।।
ॐ निरञ्जन निराकार अवधू मूल द्वार में बन्ध लगाई पवन पलटे गगन समाई, ज्योति मध्ये ज्योत ले स्थिर हो भई ॐ मध्याः उत्पन्न भई उग्र त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति आवो शिवधर बैठो, मन उनमन, बुध सिद्ध चित्त में भया नाद । तीनों एक त्रिपुर सुन्दरी भया प्रकाश । हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश । त्रिनेत्रा अभय मुद्रा योग भोग की मोक्षदायिनी । इडा पिंगला सुषम्ना देवी नागन जोगन त्रिपुर सुन्दरी । उग्र बाला, रुद्र बाला तीनों ब्रह्मपुरी में भया उजियाला । योगी के घर जोगन बाला, ब्रह्मा विष्णु शिव की माता ।

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः ॐ ह्रीं श्रीं कएईलह्रीं
हसकहल ह्रीं सकल ह्रीं सौः
ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ।

1.      महाविद्या त्रिपुर सुंदरी का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  त्रिपुर सुंदरी साधना से सभी प्रकार का ऐश्वर्य प्राप्त होता है ।